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________________ ३२३ वीर निर्वाण सम्वत् शिशुनाकका बेटा काकवर्ण था। इस लिए उसका कोई भी वंशज काकवर्णि कहला सकता है, इस तरह नागदासक दर्शक और काकवर्णि एक ही व्यक्ति हैं। प्रो० दे० रा० भण्डारकर भी नागदासक और दर्शकको एक ही मानते थे। किन्तु भासकी प्रामाणिकता उन्हें स्वीकृत नहीं थी। उन्होंने सिद्ध किया है कि दर्शकको यदि अजातशत्रका बेटा माना जाये तो उसके गद्दी पर बैठनेके समय उदयन कमसे कम ५६ वर्षका रहा होगा। इस दशामें ५७ वर्षकी उम्र में उसका दर्शककी बहिन पद्मावतीसे विवाह करना सर्वथा असंगत है। और भासने अपने समयकी गलत अनुश्रुतिका अनुसरण किया है ( भा० इ०, रू०, पृ० ४६७ ) । भासने स्वप्नवासवदत्तामें मगध नरेश दर्शककी बहिन पद्मावतीसे वत्सराज उदयनका विवाह कराया है। इससे पहले अवन्तिपति प्रद्योतकी पुत्री वासवदत्ताके साथ उसका विवाह हो चुका है। मगध नरेशकी बहिन पद्मावतीके साथ विवाह करानेके लिए उदयनका मंत्री योगन्धरायण वासवदत्ताको रूप बदलकर राजगृहीमें पद्मावतीके पास रख देता है और ऐसा रूपक रचता है जिससे वासवदत्ताके मरनेका संवाद, फैल जाता है। बातचीतमें वासवदत्ता पद्मावतीसे कहती है तू महासेनकी होने वाली बहू हैं । पद्मावती पूछती हैमहासेन कौन है ? वासवदत्ता उत्तर देती है उज्जैनीका राजा प्रद्योत है। इतनेमें धाय आकर कहती है कि महाराज उदयनका कुल रूप वय आदि देखकर महाराजने उसे पद्मावती देना स्वयं ही स्वीकार किया है। सोमदेव रचित कथासरित्सागरमें भी यह कथा, आई है। उसमें लिखा है 'वत्सराज उदयन वासवदत्ताको पाकर विषय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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