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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
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।' किन्तु उसी तरह वह यह भी कहते हैं कि मैं रुद्रोंमें शंकर | उपलब्ध गीता में वासुदेवको कहीं भी नारायण नहीं कहा । (अर्ली हि० वैष्ण० पृ० १०६-११० ) ।
डा० भण्डारकरने लिखा है कि विष्णु नारायणकी पूजा पहलेसे प्रचलित थी। पीछे भगवद्गीताके वासुदेवका विष्णु और नारायणके साथ एकीकरण किया गया और इस तरह आधुनिक वैष्णव धर्मका उदय हुआ । (क) व० भ०, जि० १,
पृ० ४११ )
rain उक्त विचारोंके फल स्वरूप जो तथ्य प्रकाश में आते हैं वे इस प्रकार हैं
१ - भागवतधर्म, जो बादको विष्णु के नामपर बैष्णव धर्म कहलाया, वासुदेव कृष्णके द्वारा उपदिष्ट हुआ, किन्तु इसमें भी अभी ऐकमत्य नहीं है ।
२ - कृष्ण वासुदेवका नारायण विष्णुके साथ एकीकरण ईस्वी पूर्व तीसरी शती में ब्राह्मणों के द्वारा किया गया जो सम्भवतया सम्राट् अशोककी प्रतिक्रियाका परिणाम था ।
३ - किन्तु इस एकीकरणको ईस्वी पूर्व तक भागवतोंने नहीं माना ।
४ - भागवत धर्म प्रारम्भ में ब्राह्मण धर्मका प्रतिद्वन्दी था ।
महाभारत और गीता
सम्बन्धसे भगवतगीता और महाभारत
यहाँ भागana के सम्बन्ध में भी कुछ प्रकाश डालना आवश्यक है क्योंकि
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