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जे० सा० इ०-पूर्व पीठिका भगवद्गीताको भागवत धर्मका श्राद्य ग्रन्थ माना जाता है और वह महाभारतके अन्तर्गत है। ___ महाभारतको पांचवां वेद माना जाता है और चारों वेदोंका संकलन करनेवाले वेद व्यासको उसका रचयिता माना जाता है। महाभारतके अनुसार वेदव्यास महाभारतके नायकोंके न केवल समकालीन थे किन्तु उनके निकट सम्बन्धी भी थे।
किन्तु समस्त वैदिक साहित्यमें महाभारतका कोई निर्देश नहीं है, महाभारतके युद्ध के सम्बन्धमें भी वेद एक दम मूक है । हां, ब्राह्मण ग्रन्थोंमें कुरुक्षेत्रका नाम प्रायः आता है और यजुर्वेद से सम्बन्धित साहित्यमें कुरुपञ्चाल और कुरुपञ्चालोंका निर्देश बहुतायतसे आता है। किन्तु समस्त वेदोंमें पाण्डु और पाण्डवोंका कोई निर्देश नहीं है। हां आश्वलायन गृह्य सूत्रमें भारत और महाभारत नाम आया है। पाणिनिने युधिष्ठिर, भीम, विदुर महाभारत नामोंकी व्यत्पत्ति आदि दी है और महाभाष्यकार पतञ्जलिने सर्वप्रथम कौरवों और पाण्डवोंके युद्धका निर्देश किया है।
इन तथा अन्य प्रमाणोंके आधारपर यह माना जाता है कि ईसा पूर्व चतुर्थ शतीमें भारत या महाभारत जैसी कोई कृति अवश्य मौजूद थी। और ईस्वी पूर्व चतुर्थ शतीसे लेकर ईस्वी सन्की चतुर्थ शती तक महाभारतका क्रमशः परिवर्तन और परिवर्धन होता रहा और गुप्तोंके राज्य कालमें उसे वर्तमान रूप मिला, कारण उसमें अनेक स्थानोंपर हूणोंका निर्देश है। वही संकलन आज हमारे सामने वर्तमान है। यद्यपि बादकी शताब्दियोंमें भी उसमें छोटे मोटे परिवर्तन और परिवर्धन होते रहे हैं। अतः महाभारतका कोई एक नियत रचना काल नहीं है
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