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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
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प्राग ऐतिहासिक कालोन अवशेष
भारतवर्षका इतिहास भारतमें आर्योंके आगमनसे प्रारम्भ होता आया है। और भारतकी सभ्यता, धर्म और ज्ञान-विज्ञानकी उन्नतिका श्रेय भी आर्योंको ही दिया जाता रहा है। आर्योंके आगमनसे पूर्व भारतमें जो जातियाँ बसती थीं वे जंगली थी, यही हम बचपनसे पढ़ते आये हैं। किन्तु इस चित्रका दूसरा पहलु भी है, जिसकी ओर कुछ विद्वान अन्वेषकोंका ध्यान आकृष्ट हुआ था और जिसका उल्लेख डा. कीथने अपनी पुस्तक 'दी रिलीजन एण्ड फिलासोफी आफ वेद एण्ड उपनिषदाज़' में किया है। वह लिखते हैं (पृ०६-१०) एक दूसरी कल्पना अभी ही की गई है कि ऋग्वेद में जिस धर्मका उल्लेख है वह आर्योंका नहीं है, किन्तु भारतके आदिवासियोंका, अनुमानतः द्रविड़ोंका है, जो स्पष्ट रूपसे भारतके प्राचीन निवासियोंमें सबसे प्रमुख हैं'। इतना लिखकर डा०कीथ पुनः लिखते हैं-"इस मान्यताके साथ मि. हल्लके इस दृष्टिकोणको भी सम्बद्ध किया जा सकता है कि 'सुमेरियन लोग मूलतः द्रविड़ थे। उन्होंने सिन्धुकी घाटीमें अपनी सभ्यताको विकसित किया और तब अर्ध भ्रमणशील सेमिट लोगोंको उससे परिचित कराया- उन्हें लिखनेकी कला, नगर-निवास और पाषाणके मकान बनाना सिखलाया। जिन आर्योंने भारत पर आक्रमण किया उन्हें भी द्रविड़ोंने सुसभ्य बनाया ।' किन्तु मिव्हल्लके इस दृष्टिकोणके सम्बन्धमें प्राणलेवा कठिनाई यह है कि एक भी प्रमाण ऐसा उपलब्ध नहीं है, जिसके द्वारा इसे कभी भी सत्य बनाया जा सके। यदि सुमेरियन मूलतः द्रविड़ थे और सिन्धुघाटीमें उच्च सभ्यताके स्वामी थे तो यह बात उल्लेखनीय है कि भारतमें इस उच्चसभ्यताका कोई चिन्ह
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