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विषय ३. तृतीय-परिच्छेद (१) जीव-द्रव्य-निरूपण १. जीवद्रव्यके कथनकी प्रतिज्ञा २. जीवका व्युत्पत्तिपूर्वक लक्षण ३. नीवद्रव्यकी अपने ही प्रदेश, गुण और पर्यायोंसे
सिद्धि ४. जीवद्रव्यका शुद्ध और अशुद्धरूप ५. जीवद्रव्यके सामान्य और विशेषगुणोंका कथन ४६ ६. मुक्ति-अवस्थामें जीवद्रव्यके स्वभावपरिणमनकी सिद्धि
४७ ७. जीवद्रव्यके वैभाविक भावोंका वर्णन ८. जीवके समल और विमल दो भेदोंका वर्णन ६. 'विमल' आत्माका स्वरूप ५०. 'समल' आत्माका स्वरूप ११. आत्माके अन्य प्रकारसे तीन भेद और उनका
__ स्वरूप १०. आत्माके कर्तृत्व और भोक्तृत्वका कथन १३. अन्तरात्माका विशेषवर्णन १४. आत्मामें शुद्ध और अशुद्धभावोंके विरोधका
परिहार १५. आत्मामें शुद्ध और अशुद्धभावोंके होनेका समर्थन ५६ १६. उपयोगकी अपेक्षा आत्माके तीन भेद और
शुभोपयोग तथा अशुभोपयोगका स्वरूप १७. शुद्धोपयोगी आत्माका स्वरूप
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