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अध्यात्म-कमल-मार्तण्डकी विषयानुकमणिका
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विषय १. प्रथम-परिच्छेद
१. मंगलाचरण और प्रतिज्ञा २. ग्रन्थके निर्माणमें ग्रन्थकारका प्रयोजन ३. मोक्षका स्वरूप ४. व्यवहार और निश्चय मोक्षमार्गका कथन ५. व्यवहार-सम्यक्त्वका स्वरूप ६. निश्चय-सम्यग्दर्शनका कथन ७. व्यवहार-सम्यग्ज्ञानका स्वरूप ८. निश्चय-सम्यग्ज्ञानका स्वरूप ६. सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञानमें अभेदकी आशङ्का
_ और उसका समाधान १०. व्यवहार-सम्यक्चारित्र और निश्चयसराग
चारित्रका स्वरूप ११. निश्चय-वीतरागचारित्र और उसके भेदोंका स्वरूप २० २. द्वितीय-परिच्छेद १. तत्त्वोंका नाम-निर्देश
२२ २. पुण्य और पापका आस्रव तथा बन्धमें अन्तर्भाव २२
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