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________________ विषयानुक्रमणी प्रश्नांक प्रश्नांक अनिवृत्तिकरण गुणस्थानका अंगप्रविष्ट अन्तरकाल ४२७ अंगप्रविष्टके भेद अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें अंगबाह्य कितनी प्रकृतियोंका बन्ध ६५१ अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें किन अंगुलके भेद अक्षरात्मक श्रुत ३०० प्रकृतियोंकी बन्ध व्युच्छित्ति ६५२ अक्षरोत्मक श्रुतके भेद ३०१ अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें अगुरुलघु नामकर्म कितनो प्रकृतियोंका उदय ६७६ अघाती कर्म ६१५ अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें अघाती कर्म कितने ६१६ कितनी प्रकृतियोंकी उदय अचक्षु दर्शन ३४२ व्यच्छित्ति ६७७ अचलावली ७४१ अनिवृत्तिकरण गणस्थानमें अतिअस्थापनावली ७४२ कितनी प्रकृतियोंका सत्त्व ६६८ अद्धापल्य २८ अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें अधाकरण १२८ सत्त्वव्युच्छित्ति ६६६ अधःकरण और अनुभाग काण्डक ७२६ अपूर्वकरणमें अन्तर अनुभाग काण्डकोत्करण काल ७३० अधःप्रवृत्त संक्रमण अनुभाग बन्ध ५५७ अधोलोक अनुभाग सत्त्व সুওও अध्रुवबन्ध ७२३ अनुयोगद्वार कितने ३८७ अनक्षरात्मक श्रुत २६६ __ अंगप्रविष्टका प्रयोजन ३८८ अनन्तानुबन्धी ४४६ अन्तरकरण ३६४ अनाकार उपयोग १६६ अन्तरअनुयोगमें किसका कथन ३६४ अनादि बन्ध ७२१ अन्तराय कर्म ४४६ अनादेय नामकर्म ५२४ अन्तराय कर्मके भेद अनाहार जीव कौन ३८४ अन्तरकरण उपशम ६०० अनाहारक जीवके गुणस्थान ३८६ अन्योन्याभ्यस्तराशि अनिवृत्तिकरण गुणस्थान १३१ अपकर्षकाल ५५५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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