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________________ प्रकाशकीय [ द्वितीय संस्करण ] मार्च १६७५ में 'करणानुयोग-प्रवेशिका' का प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ। वह पाठकोंको अन्य दो पूर्व प्रकाशित द्रव्यानुयोग-प्रवेशिका और चरणानुयोग-प्रवेशिकाको तरह इतना पसन्द आया कि वह तीन-चार वर्ष पूर्व हो अलभ्य एवं अप्राप्य हो चुका तथा पाठकोंकी मांग उसके लिए निरन्तर बनो रहो। किन्तु परिस्थितिवश हम इससे पूर्व उसे प्रकाशित नहीं कर पाये। ___ आज हमें प्रसन्नता है कि हम उसका द्वितीय संस्करण निकालनेमें सक्षम हो सके हैं। इसके पहले हाल ही में 'द्रव्यानुयोग-प्रवेशिका' और 'चरणानुयोगप्रवेशिका'के भो द्वितीय संस्करण प्रकट कर चुके हैं। उनका भी प्रथम संस्करण अप्राप्य हो चुका था और पाठक उनकी मांग कर रहे थे। आशा है इन तीनों प्रवेशिकाओंसे स्वाध्यायाथियोंको ज्ञान-लाभके साथ हार्दिक सन्तोष लाभ होगा। इन प्रवेशिकाओंकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इनमें-द्रव्यानुयोगप्रवेशिकामें द्रव्यानुयोग सम्बन्धी २६५, चरणानुयोग-प्रवेशिकामें चरणानुयोगविषयक ५६३ और करणानुयोग-प्रवेशिकामें करणानुयोग सम्बन्धी ७४४ (कुल १६०२) महत्त्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्द्धक प्रश्न और उनके सरल उत्तर समाहित हैं। इनके प्रकाशनमें जहाँ ट्रस्ट के आदरणीय ट्रस्टो जनोंका सहकार मिला है वहाँ डॉ० नरेन्द्र कुमारजी जैन प्राध्यापक, राजकीय महाविद्यालय जक्खिनी वाराणसी और श्री लालजो जैनका भी पूरा सहयोग प्राप्त हुआ है। वास्तव में मेरे बनारससे बोना (सागर), म०प्र० चले जानेपर ये दोनों महानुभाव ट्रस्ट के ग्रन्थ प्रकाशनों एवं व्यवस्थामें हार्दिक सहयोग कर रहे हैं। हम इन सबके आभारी हैं। .. श्री सन्तोषकुमार उपाध्याय, मालिक नया संसार प्रेस भदैनी, वाराणसी और उनके परिकरको भी धन्यवाद देते हैं, जो तत्परतासे मुद्रण-कार्य करते हैं। बोना (सागर), (डॉ०) दरबारोलाल कोठिया म०प्र० मंत्री ५ अगस्त १६८७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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