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प्रकाशककी ओर से [ प्रथम संस्करण ]
लगभग एक वर्ष पूर्वको बात है। श्रद्धेय श्रीमान् पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री, सिद्धान्ताचार्य, पूर्व प्राचार्य एवं वर्तमान अधिष्ठाता स्याद्वाद-महाविद्यालय के पास लिखित, किन्तु अप्रकाशित महत्वकी विपुल सामग्री देखी । इस सामाग्रो में उनको लिखो हुई कई मौलिक छोटी-छोटी कृतियाँ थीं । जैनधर्म-परिचय, आरम्भिक जैनधर्म, करणानुयोग- प्रवेशिका द्रव्यानुयोग-प्रवेशिका, चरणानुयोग - प्रवेशिका और भगवान् महावीरका जीवन-चरित ये छह रचनाएँ उसमें प्राप्त हुईं। इनकी उपयोगिता, महत्ता और मौलिकताको ज्ञातकर श्रद्धेय पण्डितजीसे उन्हें वोर - सेवा - मन्दिर ट्रस्टसे प्रकाशित करनेको अनुज्ञा माँगी। हमें प्रसन्नता है कि उन्होंने सहर्ष स्वीकृति दे दी ।
जैनधर्म - परिचय और आरम्भिक जैनधर्मं ये दो रचनाएँ छपकर पाठकोंके हाथोंमें पहुँच चुकी हैं। आज करणानुयोग- प्रवेशिका, द्रव्यानुयोग- प्रवेशिका, चरणानुयोग - प्रवेशिका और भगवान् महावीरका जीवन-चरित ये चार कृतियां एक साथ अलग-अलग प्रकाशित हो रही हैं। आशा है पाठक इन्हें बड़े चाव से अपनाएँगे ।
हम इस महान् ज्ञान-दान के लिए श्रद्धेय पण्डितजोके हृदय से आभारी हैं । पण्डितजी ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं, इससे भी हमें आपका सदैव परामर्शादि योगदान सहज में मिलता रहता है । यह वस्तुतः उनका महान अनुग्रह है ।
ट्रस्ट - कमेटीका सहकार भो हमें प्राप्त है । उसीके कारण हम ट्रस्टसे लगभग १८ महत्त्वपूर्ण कृतियां प्रकाशित कर सके हैं, अतः उसे भी हम धन्यवाद देते हैं ।
अस्सी, वाराणसी-५ फाल्गुनी अष्टाह्निका- पूर्णिमा, वो० नि० सं० २५०१ २७ मार्च, १६७५
(डॉ०) दरबारीलाल कोठिया मंत्री वीर-सेवा-मन्दिर ट्रस्ट
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