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________________ चरणानुयोग-प्रवेशिका हुए क्षेत्रके परिमाणको बढ़ा लेना), स्मृत्यन्तराधान ( किये हुए परिमाणको भूल जाना)। ११६. प्र०-अनर्थदण्डव्रतके अतिचार कौनसे हैं ? उ०-कन्दर्प (हास्य मिश्रित अश्लील वचन बोलना), कौत्कुच्य (हास्य मिश्रित अश्लील वचनके साथ शरीरसे भी कुचेष्टा करना), मौखर्य (व्यर्थ बकवाद करना), असमीक्ष्य-अधिकरण (बिना बिचारे प्रयोजनसे अधिक कार्य करना ) और उपभोग-परिभोग-आनर्थक्य ( भोग और उपभोगके साधनोंका प्रयोजनसे अधिक संचय करना ) । ये पांच अतिचार अनर्थदण्डव्रतके हैं। ११७. प्र०-भोग-उपभोग-परिमाणवतके अतिचार कौनसे हैं ? उ.-सचित्त-आहार ( सचित पुष्प-फल आदिका आहार करना ), सचित्त-सम्बन्धाहार (सचित्त वस्तुसे स्पर्श हुए पदार्थका आहार करना ), सचित्त सम्मिश्र-आहार (सचित्त वस्तुसे मिली हुई वस्तुका आहार करना), अभिषव-आहार (कामोत्तेजक वस्तुका आहार करना ) और दुष्पक्व-आहार (भली प्रकार न पके हुए अथवा देरसे पचनेवाले पदार्थोंका आहार करना) ये पांच अतिचार भोगोपभोगपरिमाणवतके तत्त्वार्थसूत्र में कहे हैं और विषयरूपी विषमें आदरभावका होना, भोगे हुए विषयोंका स्मरण करना, वर्तमानमें उपलब्ध विषयोंमें अति लोलुपता होना, भाविभोगोंकी चाह होना और भोग न भोगते हुए भी मनमें भोगोंको भोगने को-सी कल्पना करना ये पांच अतिचार समन्तभद्र स्वामीने रत्नकरंड श्रावकाचारमें कहे हैं। ११८. प्र०-देशवतके अतिचार कौन से हैं ? उ.-आनयन ( मर्यादासे बाहरसे किसी वस्तुको मँगवाना ), प्रेष्यप्रयोग ( मर्यादासे बाहर किसीको भेजना), शब्दानुपात (मर्यादासे बाहर स्वयं न जाकर भी शब्दके द्वारा अपना काम करा लेना ), रूपानुपात ( अपना रूप दिखाकर मर्यादासे बाहर कोई काम कराना ) और पुद्गलक्षेप ( मर्यादासे बाहर ढेला आदि फेंककर अपना काम करा लेना ) ये पांच देशवत के अतिचार हैं। ११९. प्र०-सामायिकवतके अतिचार कौनसे हैं ? उ०-योगदुष्प्रणिधान ( सामायिकके समय मनको चलायमान करना, वचनको चलायमान करना और कायको चलायमान करना ), अनादर ( सामायिक करते हुए भी उत्साहका न होना ) और स्मृत्यनुपस्थापन ( सामायिकके समय आदिको भूल जाना ) ये पांच अतिचार सामायिकव्रतके हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003834
Book TitleCharnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1986
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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