________________
मूल प०
टोका १०
पृष्ठ
१०२
१०३
१०४
हुमायु, चकोर-शुक, मोर, कोकिल, चातक,
काक-भुसुंडि, गीध। पशु भक्तों के नाम वर्णन
कामधेनु, नन्दनी, कपिला, सुरह, एरावत,
नदीश्वर, सिंह, मृग, उच्चश्रवा । अठारह पुराणों के नाम
विष्णु पु०, भागवत पु०, मत्स्य पु०, वाराह पु०, फूरम पु०, वामन पु०, शिवपुराण, स्कंद पु०, लिंग पु०, पदम पु०, भविष्य पु०, ब्रह्मवैवर्त पु०, ब्रह्मपु०, नारद पु०, अग्नि पु०,
गरुड पु०, मार्कण्डेय पु०, ब्रह्माण्ड पु० । अठारह स्मृतियों के नाम
वैष्णव, मनु, पात्रेय, याम्य, हारीत, पांगिरस, याज्ञवल्क्य, शनैश्चर, सांवर्तक, कात्यायन, गौतमी, वशिष्ठ, दाक्ष्य, शांखल्य,
प्रातातप, बार्हस्पति, पाराशर, ऋतु । राम सचिवों के नाम
सुमंत्र, जयन्त, विजय, राष्टरवर्धन, सुराष्टर,
प्रसोक (प्रकोप), धर्मपाल। यूथपालों के नाम
सुग्रीव, वालि, अंगद, हनुमान, उलका, वधिमुख, द्विविद, जामवन्त, सुषेण, मयंद, नल, नील, कुमुद, दरीमुख, गंधमादन,
गवाक्ष, पनस, शरमजी। अष्ट नागकुल नाम वर्णन
इलापत्र, सेष, शंकु, पदम (महा), वासुकी,
अंशुकमल, तक्षक, कर्कोटक। नव नंद नाम वर्णन
सुनंद, अभिनंव, उपनंद, धरानंद, ध्रुवनंद,
धर्मानंद, कर्मानंद, नन्द, वल्लभ । व्रज के नर-नारी भक्त वर्णन
नंद, जसोदा, धरानंद, भ्रूवानंद, कीरतिदा,
१०६
१०७
१०८
१०६
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org