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________________ अनुक्रमणिका [ ७ ] ७३ ३६ ४० मूल ५० टीका ५० पृष्ठ ___७३ ३६ ७४-७६ ४० ७७-८१ ४०-४१ ८२ ४०-४१ ८३ ४०-४१ १०३ __४१ ८४-८५ est ८६ समुदायी टोका सिबि, सुधन्वा, दधीची, सुदर्शन । रुक्मांगद की टीका मोरधुज की टीका अलरक की टीका रंतदेव की टीका नवधा भक्ति के भक्तों के नाम परिक्षित (श्रवण), सुकदेव (कीर्तन), लक्ष्मी (चरणसेवा), प्रहलाद (स्मरस), प्रक्रूर (वंदन), हनुमान (दासातन), अर्जुन (सखा), पृथु (अर्चन), बलि (प्रात्मनिवेदन) गोहभीलां को राजा की टीका प्रहलाद की कथा प्रहलाद की टीका अक्रू रजी को टीका प्रीक्षत की टीका सुखदेव जी की टीका नवग्रहों के नाम व भक्ति वर्णन बृहस्पति, बुध, सनि, सोम, रवि, सुकर, मंगल, राहु, केतु। अठाईस नक्षत्रों का वर्णन अश्वनी, भरणी, कृतिका, रोहणी, मृगसिरा. प्रादा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, जेष्ठा, अतिमित्रा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, सतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती। पक्षी भक्तों के नाम वर्णन गरुड़ (विष्णु), अरुण (सूर्य), हंस, सारस, ८७ మనమున ననన ८८. ८ 88 १०० १०१ यहाँ ६ मनहर छंदों का टिप्पणी में फरक है अन्यथा १०४ होते हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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