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नुक्रमणिका
ध्रुवजी का वर्णन
सुदामाजी का वर्णन
सुदामाजी की टीका
विदुरजी की टीका
चन्द्रहास की टीका
समुदायी टीका
कुन्ती की टीका
द्रौपदी की टीका
ऋषभदेव के पुत्रों का वर्णन राजरषि नाम वर्णन '
उत्तानपाद, प्रियव्रत, अंग, मुचकुंद, प्रचेता, जोगेश्वर नव, जनक, पृथु, परीक्षित, शौनकादि, हरिजस्व, हरिविश्व, रघु, सुधन्वा, भागीरथ, हरिचंद, सगर, सत्यव्रत, सुमनु, प्राचीनबह, इक्ष्वाकु, रुकमांगद, कुरु, गाधि, भरत, सुरथ, सुमति ( बलि पनि), रिभु, ऐल, शतधन्वा, वैवस्वत, नहुष, उत्तंग, जडु, नजाति, सरभंग, दिलीप, अम्बरीष, मोरधुज, सिबि पांडव, ध्रुव, चन्द्रहास, रन्तिदेव, मानधाता, संजय, समीक, निमि, भरद्वाज, वाल्मीक, चित्रकेत, दक्ष, अमूर्त, रय, गय, भूरिसे ( भूरि ), देवल ।
पतिव्रता स्त्रिय
[ ३ ]
श्रादिशक्ति, लक्ष्मी, पार्वती, सावित्री, शतरूपा देवदूति श्राकृति, प्रसूति, सुनीति, सुमित्रा, प्रल्या, कौशल्या, तारा, चूडाला, सीता, कुन्ति, जयंती (ऋषभदेव की पत्नि), वृन्दा, सत्यभामा, द्रौपदी, श्रदिनि, जसोदा, देवकी, मंदोदरि, त्रिजटा, मंदालसा, सची, अनसूया, अंजनि ।
of नाभादास कृत भक्तमाल में मूल पद्म संख्या ७-८ देखें ।
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टीका प०
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