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भक्तमाल
मेरी यह भी इच्छा थी कि जिस प्रकार नाभादास को भक्तमाल का व्याख्यान करने वाले कई भक्तमाली सन्त हैं, इसी तरह राघवदास की इस भक्तमाल के व्याख्याता सन्त भी हों, तो उनके पास से इस ग्रन्थ में वरिणत भक्तों की विशेष जानकारी प्राप्त की जाय। स्वामी मंगलदासजो को पूछने पर उन्होंने यह सचना दी कि "राघवदासजी की भक्तमाल के जानकार दादूपन्थी सम्प्रदाय में २-३ हैं, उनमें तपस्वी भूरारामजी प्रमुख हैं। भक्तमाल पर महात्मा रामदासजी दुवल धनिये ने अपने शिष्य बुधाराम को भक्तमाल की कथाओं का विवरण लिखा दिया था, वह शायद उसी के पास वाराणसी में है।" पर मैं इन दोनों सन्तों से लाभ नहीं उठा पाया। अतः जैसा भी बन पड़ा है, इस ग्रन्थ को पाठकों के हाथों में उपस्थित करते हुये सन्तोष मान रहा है।
-अगरचन्द नाहटा
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