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________________ भक्तमाल राघवदास को भक्तमाल यद्यपि नाभादास की भक्तमाल के अनुकरण में ही राघवदास ने अपनी भक्तमाल बनाई, पर, एक तो यह उससे काफ़ी बड़ी है और दूसरा इसमें ऐसे अनेक सन्त एवं भक्तजनों का उल्लेख है, जिनका नाभादास की भक्तमाल में उल्लेख नहीं है। कवि राघवदास दादूपन्थी सम्प्रदाय के थे, इसलिए उक्त सम्प्रदाय के सन्तजनों का विवरण तो इसमें विशेष रूप से दिया ही गया है और इसमें मुसलमान, चारण आदि ऐसे अनेक भक्तों का विवरण भी है, जिनके सम्बन्ध में और किसी भक्तमालकार ने कुछ भी नहीं लिखा है। इसलिये इस भक्तमाल की अपनी विशेषता है और यह ग्रन्थ बहुत ही महत्वपूर्ण है। __डॉ. मोतीलाल मेनारिया ने अपने 'राजस्थान का पिंगल-साहित्य' नामक शोध-प्रबन्ध में इस ग्रन्थ का महत्व बतलाते हुये लिखा है कि "यह ग्रन्थ नाभादास की भक्तमाल की शैली पर लिखा गया है, पर उसकी अपेक्षा इसका दृष्टिकोण कुछ अधिक व्यापक और उदार है। नाभादास ने अपने भक्तमाल में केवल वैष्णव भक्तों को स्थान दिया है। परन्तु, इन्होंने दादूपन्थो सन्तों के अतिरिक्त रामानुज, विष्णुस्वामो, कबीर, नानक अादि अन्य मतावलम्बियों का भी विवरण दिया है और यह इसकी एक प्रधान विशेषता है। यह ग्रन्थ बहुत प्रौढ और उपयोगी रचना है।" वृन्दावन से प्रकाशित श्री भक्तमाल ग्रन्थ के पृष्ठ ६५८ में लिखा है कि इस भक्तमाल में चतुस्सम्प्रदायी वैष्णव भक्तों के साथ सन्यासी, जोगी, जैनी, बौद्ध, यवन, फकीर, नानकपन्थी, कबोर, दादू, निरंजनी आदि सम्प्रदायों के भक्तों का भो उल्लेख है। स्वामी मंगलदासजी ने राघवदास की भक्तमाल की विशेषता के सम्बन्ध में लिखा है कि "इसमें सगुण भक्तों के वर्णन के साथ-साथ निर्गण भक्तों का भी निरूपण किया गया है।" उक्त ग्रन्थ में इसका रचनाकाल सम्वत् १७७७ बतलाया गया है, पर वास्तव में "सत्रोतरा" शब्द से १७ की संख्या लेना ही अधिक राघवदास व उनकी रचनाएँ राघवदासजो का विशेष परिचय प्रयत्न करने पर भी प्राप्त नहीं हो सका। इस ग्रन्थ की प्रशस्ति के अनुसार वे दादूजी के शिष्य बड़े सुन्दरदासजी, उनके शिष्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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