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________________ चतुरदास कृत टीका सहित [ २३९ जनम करम गुन रूप, कृष्ण तन दसम बनायौं । पखा-पखी सौं रहत, सहत बैराग बिबेकं। पंथ संप्रदा संत, सबन कुं जानत येकं । चांमलि तीर गंगाइचौ, जन राघो कीयो वास वन। माखू दादू दास को, जाकै बेणीदास जन ॥५२१ बूसर सुंदरदास के, सिष पांच प्रसिधि हैं । टीकै दयालदास, बड़ो पंडत परतापी। काबि कोस ब्याकरण, सास्त्र मै बुद्धि अमापी। स्यांम दमोदरदास, सील सुमरन के साचे। निरमल निराइनदास, प्रेम सौं प्रभु मैं नाचे । राघो-राम सुं राम-रत, थली थावरे निधि हैं। बूसर सुंदरदास के, सिष पांच प्रसिधि हैं ॥५२२ मनहर छपै सुंदर के नरांइनदास काहू के न संग पास, रहत हुलास निति ऊंचे चढि गांवहीं। दिल्ली के बजार मांहि डोले मैं हुरम जांहि, परे कूदि तांहि नीको गोष्टि करावहीं । साथ केनि सोर कीयौ आप उन चेत लीयो, कूदि गये जहां के तहां अचिरज पांवहीं। गगन मगन जन सुख दुख नाहीं मन, गावत सु राम गुन रत रहै नांवहीं ॥५२३ दादू दीनदयाल के, नाती बालकरांम ॥ कर हंस ज्यूं अंस, सार अस्सार निरार। प्रांन देव कौं त्याग, येक परब्रह्म संभार'। कीये कबित षट तुकी, बहुरि मनहर अरु इंदव। कुंडलिया पुनि साखि, भक्ति बिमुखिन कू निदव । राघो गुर पखि मै निपुन, सतगुर सुंदर नाम । दादू दीनदयाल के, नांती बालकरांम ॥५२४ दादू दीनदयाल के, नाती उभै सुभट भये ॥ चतुरदास अति चतुर, करी येकादस भाषा । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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