SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 290
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पतुरदास कृत टीका सहित [ २१५ राघो १४गोपानंद, १५खेर १६चतुरो नागोहन । १७द्वै-कृष्णदास १८बिश्रांम सुनि, सेससाई आरोगि है। जगनग सं न्यारे भये, जे जे भजिबा जोगि है ॥४५७ बिदुर बैष्णु की टोका . इंदव है बिदुरं जयतारनि गांव स, संतन सेवन मै बुद्धि पागी। छद मेह भयौ नहीं सूकत साखहि, स्यांम कही जन कौं बड़भागी। । __ साख कटाइ गहाइ उड़ाइहु, दोइ हजार मनं अनुरागी। . बात करी वह लोग न मानत, रासि भये हरि सौं लिव लागी ॥५८५ छपै मूल साधन की सेवा कर, मधुकर बृति करि ये भगत ॥ १प्रमानंद मधुपुरी, द्वारिका २गोमां प्रांहीं। सांगावति ३भावांन, दूसरौ काल ४खमांहीं। ५स्यांमसैन के बंस, बीठल टोडे टकटारै । पीपाहड़ चोंधड़, खेम पंडा गोनारै। केवल कूबा झीथड़े, जैताररिण १०गोपाल रत। साधन की सेवा करें, मधुकर बृति करि ये भगत ॥४५८ मथुरा महि उछव कीयौ, कांन्ह र बहुत उदार मन ॥ बर्णाश्रम षट-दरसन, भूप कंगाल जिमाये । संतन कौं सर्बस, देहु असे हुलसाये । चंदन अंबर पांन, कीरतन करतां दीन्हे । ___ गहणे दीये उतारि, प्रभु के यौं रंग भीने । सुत बीठल को सर्ब सिरै, असौ नांहीं प्रांन जन । मथुरा महि उछव कीयौ, कांन्ह र बहुत उदार मन ॥४५६ चीर बध्यौ दुरपद-सुता, त्यूं रिधि तूंवर भगवान की ॥ अद्भुत असौ भयौ, खांड मैदा घृत बढ़िया । हाटोक' रूपा ढेर, देखि परसन मन पढ़िया। जीमन लीला रास, कान की कीरति गाई । संतन को सनमान, बहुत संपति सब पाई। १. सोनो हाटक। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy