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चतुरदास कृत टीका सहित
मनहर
छंद
१. पठ ।
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षटपदो भरम- बिध्वंसन गुरू कृपा स गुर, दया गुर मैमां
सतोतर प्रनिये |
रामजी नामाष्टक आत्मा अचल भाखा, पंजाबी सतोत्र ब्रह्म पीर श्रीदु जानिये | अष्टक अजब ख्याल ग्यांन भूलना है आठ,
सैजानंद-ग्रे बैराग बोध परमानिये । हरि बोल तरक बिबेक चितवनि त्रिय,
पम-गम अडिल मडिल सुभ गांनिये ॥ ५४६ बारामासी आयु भेद ग्रात्मां बिचार येही, त्रिविधि अंतःकरण-भेद उर धारिये । बरवै पूरबी भाषा चौबोला गूढ़ा रथ,
छौ छंद गरण अरु गन बिचारिये । नव-निधि अष्ट-सिधि सात बारहू के नांम,
बारामास हो के बारै राखि सो उचारिये । छत्रबंध कमल मध्यक्षरा कंकरण-बंध, चौकी - बंध जीनपस बंधऊ संभारिये ॥ ५५० चौपड़ बिरक्ष-बंध दोहा आदि अक्षरीस,
आदि अंत प्रक्षरी गोमुत्र काज कीये हैं । अंतर- बहरलापिका निमात हार-बंध, जुगल निगड़-बंध नाग-बंध भी ये हैं सिंघा - अवलोकनी स प्रतिलोम अनुलोम,
दीरघ अक्षर पंच बिधांनी सुनीये हैं । गजल सलोक और बिबिधि प्रकार भेद,
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पंडित कबीर सुरनि मांनि सुख लीये हैं ।। ५५१ बाजीदजी क़ौमूल
छाड़ि के पठारण कुल रांम नांम कोनौ पाठ',
भजन प्रताप सौं बाजीद बाजी जीत्यो है | हिरणी हतत उर डर भयौ भय करि, सील भाव उपज्यौ दुसील भाव बीत्यौ है 1
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