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________________ चतुरदास कृत टीका सहित [ १९३ अचिरज की बात सुनी जात बहु संतन पैं, पात पात होत धुनि राम राम बाइ के। सिषहू बसंतदास संतदास रामदास, द्वादस महंत पुनि भये हरि गाइ के। रामपुरा ग्राम जहां साधन को धांम तहां, लहै विश्रांम जन बहु सुखदाइकै ॥४०० प्रागदास बिहांणी कौ बरनन छपै दादू दीनदयाल के, सिष बिहारणी प्राग जन ॥ कुल कलि करयौ बिख्यात, डीडपुर कीयौ उजागर । सिष उपजे सिरदार, सील सुमरण के प्रागर । सांभरि सर जल अधर, चले पद अंबुज नाई। नांव लेण की माल, रही उर देह जराई। परमारथ हित भजन पन, राघव जीते प्रांन मन । दादू दीनदयाल के, सिष बिहारणी प्राग जन ॥४०१ मनहर दादूजी के पंथ मै प्रतीत अरि इंद्रीजित, छंद बीहै न बिहारणी प्रागदास परमारथी। सांगोपांग संत सूरबीर धीर धारे तेग, रांमजी के बैठो रथ ग्यांन जाकै सारथी। काम क्रोध लोभ मोह मारिया बजाइ लोह, __भरम करम जीते भीम जेम भारथी। राघो कहै राम काम सारे जिन पाठौं जांम, भजन की माला रही दगध कीयां रथी ॥४०२ दोऊ जैमलजो कौ बरनन छौ दादू दीनदयाल के, भजन जुगत जैमल जुगल ॥ सूर धीर उदार, सार ग्राहक सतवादी। दिढ़ गुर इष्ट उपास, भक्त हरि के मरजादी। पदसाखी निरबांन, कथे निरगुन सनबंधी। भक्ति ग्यांन बैराग, त्याग संतन श्रुति संधी। रजबंसी राघो उभ, कूरम पुनि चौहाण कुल । दादू दीनदयाल के, भजन जुगत जैमल जुगल ॥४०३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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