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________________ चतुरदास कृत टीका सहित छपे छ १. जगम । कबर बीरबल बुधि के आगर दोऊ, दादू अभय के घर चरचा चलाई है । गोष्टि समझायौ गैबी तखत दिखायौ ताहि, जाहि तेजवंत देखि करत बड़ाई है । गऊ छुड़वाई कोउ जीव न संताई अरु, सौगन कढाई अजू साहिब दुहाई है ।। ५५७ जुगम' - मूल दादूजी के पंथ प्रथम मैं, ये बावन द्रिग सु महंत ग्रोब मसकीन, बाई द्वै सुन्दरदासा । रज्जब दयालदास, मोहन च्यार जगजीवन जगनाथ, तीन गोपाल गरीबजन दूजन, घड़सी जैमल प्रकाशा | बखांनूं | द्वै जनूं । बनवारि द्वै । सादा तेजानंद, पुनि प्रमांनंद साधूजन हरदासहू, कपिल चतुरभुज पार ह्वै ॥ ३६१ चत्रदास द्वै चरण, प्राग द्वै चैन प्रहलादा । चांदा । संकर । बखनौं जग्गोलाल, माखू टोला श्ररु हिंगोलगिर र हरिस्यंध, निरांइग जसौ भांभू बांभू संतदास, टीकूं स्यांम माधव सुदास नागर निजांम, जन दादूजी के पंथ मैं, ये बांवन द्रिग सु महंत ॥३६२ हि बर । राघो बलि कहंत । Jain Educationa International श्री स्वामी गरीबदासजी कौ बरनन को, दादू दीनदयाल गरीबदास गादी तपे ॥ भजन सील की अवधि, सेस सिंभू सुत जांनूं । बोंन गांन परबीन, दूसरे अज सुत मांनौं । रिवसुत सम दातार, संत पर्षत मिथलेसं ३ । सिंध-सुता कर चढ़ी, सु तौ संची नहीं लेसं । दिल्लीपति इयांगीर दत देत ताहि नाहि न लिपे । दादू दीनदयाल गरीबदास गादी तपे ॥ ३६३ की, २. हिंगोपालगिर । ३. मथलेस । [ १८३ ४. लगी । For Personal and Private Use Only 1 www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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