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शांतिनाथ -रास
मह मंडव कब्बड पट्टण तह वर चउसट्ठि सहस्स विलासिणि छनवइ गाम- कोडि जसु पल्लव जसु बत्तीस सहस नाडय - विहि छाय - निलीण वि जसु नहु पावहि अहव किमिंदु न किरण-करंबिय पासिरि रज्ज - महादुमि पूरिय जण - वळाहिग सुह-फलि संति - जिणेसर चित्त-विहंगमु सुद्ध पक्ख-थिर-बंधुर-कायह दावालिंगिय वणह समाणउ निखिल - सुक्ख-धरणीधर - वज्जू नव निहाण असु-विट्ठ नवग्गह संताविउ तिणि निय-अंतेउरु जिम्व सप्पिणि विस-मंथर सप्पिणि अइ-दुसील जिव रमणि विरत्तिय विमल-ति-नाण- रयण-उवसोहिउ
रिसु देइ मह- दाण अ-मूढउ सहइ विलित्तु विभूसण- मंडिउ जह व मेरु-धर कप्प - महीरुहु अहिणव- पाउस जिम्व वियसंतउ भूसण-कंति-तडिच्छड-सोहिउ नील-लि-कंचुलिय- अलंकिय मय-भर कल - कंठिण गायंतिय तरुण-विलासिणि- सेणि स-हेलइँ नरवइ - पुंडरीय सुवलाहय इय सिरि-संति अकालिय-वासह सुह - पहा वि संतावु पणट्ठउ सहसअंबिअ-मणोहर-काणणि गहिवि दिक्ख मण-पव्वय पाविउ
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जण-खग-संकुल अट्ठ पसाहह । भोग- पमोय- महाफल- दंसणि ॥ २७ महुर-गेय महुर- झुणि- उन्भव | कुसुम-गुच्छ लोयण मुहु महु तिहि ॥ २८ तवण-तावु सुह सरुअर गाहहि । कुमय हुंति नित्तम वियसंतिय ॥२९ पहु- पहाव परिवड्ढइ अह - कमि । विजिय- कप्प- पायवि अइ बहु- दलि ||३० भव-पंजरह विरतु सुचंकमु ।
ली - तल व मित्तु वि गय- रायह ॥ ३१ मल-मंजूस किलेस - निहाणउ ।
परम
-दिट्ठि - दिउ तिणि रज्जू ॥३२ रयणस - विग्गह दारुण विग्गह | नराहवणु रणि रमणि - नेउरु ॥३३ अहवरुद्ध दूधुर जिम्व जक्खिणि । तिम्व विभूइ जणि सयल वि चत्तिय ॥ ३४ कपु मुणिव लोयंतिय-बो हिउ । तर सव्वट्ट - सिविय आरूढउ ॥ ३५ जिम्व सुरिंदु सवि माणि अखंडिउ । संति- जिणेसरु तिम्व सिविआरुहु || ३६ अखलिय कणय-धार वरिसंतउ । गहिर - तूर -रव-गज्जि - विबोहिउ ॥३७ त वर-केस- कलाविण चंगिय | हरिसि निरंतरु थिरु नच्चतिय || ३८ वरहिण -पंति विवहि लीइँ | कण-धार हरि सिय- जण - वायय ॥३९ कसिण- चउद्दसि जिट्ठह मासह | नच्चइ जग मिय- कुंडि पट्ठउ ॥४० सहस - राय - सहु भाव - पहाणिण । जिणि जग मण - परिणाम विभाविउ ॥४१
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