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कयलि-खंभ-सुकुमाल सीरीरिण कणउ वि निम्मलु ताव न होयइ
कम्मह दुसह दाहक्खय उज्जय न हि साहिज्ज - निमित्तिण चंद - जुन्ह अइ-सिसिर जलासय मेलिवि सिय- नवमिहि दिणि पत्तउ जिवि दुज्जय घाइ- महाभड जिणि पाविय अहवा मय-लंछण पाडिहेर वर पूय सुरासुर जसु विणीय विबुह ते सामीय समवसरण विहि-धम्मु पयासिउ विहिउ चर - व्विहु हत्थालंबणु गणहर ठावण सम्म - चरितह गुरुग्गमणि समुग्गय नाणु वि उ - विह- धम्म-पइट्ठिय-खंभु चरण-सिहरु सु-विसुद्धि-अलंकिउ सायार- परिवार पसाहिउ सदवबोहु जहिं तुंगुस - तोरणु परमत्ताणु तहिं कलसु चडाविउ इहु वृत्तंतु निमित्त सुदुक्खहँ बरिस लक्खु उतरुत्तरु सुक्खइँ
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तविउ तिव्वु तवु सिव-मणि धीरण । जाव न अप्पर तावह ढोय || ४२ संतिहि सव्वायर कय-निज्जय । सहिउ नियय-परिवारि समत्थिण ॥४३ हिम-कण पवण-नियर तवनासय । नाइ पोसु सुह - मित्तु निरुत्तर ||४४ जय - सिरि जिम्व केवल-सिरि उक्कड | कइय न होइहि सिरि-लाभ - च्हण ॥४५ तुरतुरियस विरहि स- प्फुर । कज्जु पसाहहि समयावसिय ॥४६ अविहि- तिमिरु जण-मणह विनासिउ ।
प्राचीन गुर्जर काव्य संचय
- गइ जंतह संधु निरंजणु || ४७ रोवण संति करइ सु-पसत्यह । अहव वेल चालइ तसु जाणु वि ॥४८ करण - महामुंडा वर-बंभू । निम्मल - भावण - सुहरस-पंकिउ ||४९ मूल-बिंबु जहि दंसणु ठाविउ । सुवरि सेलेसी - वय - फोरणु ||५० भावुवगाहि कम्मट्टि समाविउ । पयडिउ भविय लोय अइसुक्खहं ॥ ५१ सेविय..
[ अपूर्ण ]
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