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१३. शांतिनाथ -रास
पंचमु भरह - नरिंदो जिणवइ सोलसमउ । संति सुहंकर-कंदो पणमवि पयडिय नउ ॥१ चरिउ किंपि पभणउँ तसु नाहह सुर चूडामणि- चुंबिय -पायहँ । जं निसुतहँ भवियहँ सवणइँ
खेडनयर जो संति विहि-समुदयस सुभत्ति
आस भरहि सिरिसेण नरेसरु जो सुरूवु कुरु - माणव - सारउ अमियतेउ विज्जाहरु नरवई पाणइ वीस अयर पुण देवू अवराइउ नामेण पसिद्धउ
भरियहि ँ अमिय- रसायण - सघणइँ ॥ २ उद्धरणि कराविउ । जिणवइ- सूरि-ठाविउ || ध्रुवक ॥ रयणाउरि जिम्व सग्ग सुरेसरु । होइवि पत्तउ पढम सुरालउ ॥३ जो वेयढि पयाविण दिणवइ । इहि विदीवि विजयह बलदेवू ॥४ तो अच्चुय-तियसिंदु समिद्धउ । जो संधुणिउ सुरिंदिण सायरु ||५ भूसणु तिम्व नवमह विज्जह | विजय मेहरह-राउ असत्तू ॥६ तहि भवि अन्नु वि जेण जिणत्तणु । तउ सव्वट्टि सुरुत्तम सिद्धउ ॥७ को गुण तिणु इक्कंगिण भुत्तिय । जिणि सव्वट्ट - सिरि वि परिचत्तिय ॥८ जगु पिच्छिवि गंजिउ त दु । तेय - पुंजु जो कह-व न खज्जइ ॥ ९ चउदस दुगुणन सुमिणिहि जायउ । अहिउ न जइ सन्निहि सप्पुन्नहँ ॥ १० अयदेवहि नयाणंदणु । पुव - दिसिहि जिम्व निम्मलु भाणू ॥११ पउर-पयासिण तक्खणि वड्ढिवि । जायइ अच्चन्भुउ किउ जण-मणि ॥ १२
नव-वजाउहु करुणा - सायरु जिम्व गेविज्जु वि अनवम कंठह जायउ पुणु घणरह जिण ( निव) पुत्तू अज्जिउ चारु चरणि चक्कित्तणु अव सुपुन्नह काइँ अ-सज्झउ जा सिर पर 'उवयार - विवज्जिय इय चिंतिवि धुवु सुह-भर-नच्चिय भद्दव- सत्तमि कसिण - निसा-भरि तहि गुणत्थु अवइन्नु जु नज्जइ चक्कि जिणेसरु जइ तुहु आयउ तह वि जणणि-संतोसु सपुन्नहँ गयउरि वीससेण - कुल-मंडणू सो जायउ जिण तेय-निहाणू जिट्ठ-कसिण-तेरसि निसि - अद्ध वि पुन्न कलानिहि जिण मघ-लंछणि ध्रुवक- सुभती.
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