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________________ शांतिनाथदेव-रास बे-वि सिनइ २ अप्पु मन्नत । जा दिट्टि पहि जुडिय रण- तूर वज्जिय पउर देवादेव समागइय जिम तिलु निवड तुडि-वसिण हिदुउ कह-वि न जाइ ॥ २९ वीर-वरणी २ करइ त सुहड [ २४८B] उग्ग-खग्ग-लय फरफरावहि । फारक्कि फर करि धरवि अत्थक्क पायक्क तिहि बल - मज्झि ठिय जाम भड सिंहनादु मुंचति भड दुन्नि - वि ए जुडिय सिन्न नच्चिउ ए वीर - रसो वि पहरंता बल अन्नुन्नु जुज्झहि ए चिर- वरेण पायक ए मल्हइ हाक कायर ए पडिया प्राण ताणवि ए सर मुच्चंति उद्दंडू उडिउ लोहु Jain Educationa International (ता) घाय बलिय समहरि निसाणह । कोउगेण आरुहि विमाणह || नहु नयलि सम्माइ । झंकारु वर-सिंगणिहि तिम जे मइक्क (?) झुर्णाहि चिर-मिलिया जिम बंधु जिण अप्पुप्पर घायह वसिण पायक्कह कलकलिण अच्छिन्न-सर-भर पसर २९. १. सन्नइ. २९. ८. खग्गय. ३५. २. सिंगणहि. ३. धणु-पडच्च आकन्न खंचहि ॥ अंतर - पुड फार्डति । तामुल्ललवि मिलति ॥३० * रण तूरहि वज्र्ज्जतइहि । ऊभा हाथ करेवि तिहि ॥ ३१ पिक्खिवि देवहि संकियउ । अंधार अनु चांद्रणउ ॥ ३२ फरियह रणझण-झुणि घणउ । सुहड-कन्न वद्धावणउ ॥ ३३ उप्पाडवि पुण खग्ग-लय । लोहहि प्राया बल उभय ॥ ३४ तह ज रण- भरि २ फरिय-झंकारु । विजय- भेरि-भंकारु घुम्मइ । जगि सुगालु सयलम्म गम्मइ ॥ सुहड गलोगलि लग्ग । भग्गा मिल्हवि खग्ग ॥ ३५ तहि जि हूयए २ समर [ २४९A ]- सम्मदि । कन्न पडिउ नहु किं-पि सुमह । किसउ सूरु हुय इउ न गम्मइ ॥ वसण. ३०. ३. फरफरावय ३३. १. मेल्हय. ३४. ९. घुम्मय. ५. गम्मय. ३६. ३. सुम्मय. For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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