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संव
प्राचीन गुर्जर सहसं ब-वणुज्जाण-वणि सतिनाह पडिवन्नु । दिक्ख छट्टि तवि निव-सहस-जुत्तउ कंचण-वन्नु ॥२२
___बीय-वासरि २ निव-सुमित्तेण । पाराविय संति-जिणु मुह-मणेण परमन्न-दाणिण । सोमित्त-घर पूरियउ सुरवरेहि वसु-हार-बुट्टिण ।। देवहि जयजय-कारु किउ नहियलि चेलुक्खेवु । मणि हरसिय जग सयल किर दुद्धिहि वुट्ठउ देवु ॥२३
छउमत्थत्तणि एग-वरसि गइ ए संतिसरु । पिक्खिवि अंतर-वयरि-सिन्नु दप्पु[२४८A]द्धर-कंधरु ॥ चडियउ कोवाडोवि झत्ति भिउडी-भीमाणणु । वीर-रसह रलियावणउ पुणु हुयउ घणु(?) ॥२४ वज्जिय जत्त-ढक्क बुक्क अत्थक्क निसाणा । तउ सीलंगट्ठारहि] सहस मणि हरसि न माणा ॥ पंच महव्वय-मउडबद्ध रोमंचिय राणा । सेस महाभड हरिस-वसिण या उत्ताणा ॥२५ संति-जिणेसर पिक्खि सयल सेणा सन्नद्धा । वीर-बट्ट तुह(?) भाल-वटि वर-वीरह बद्धा ॥ पुन्न-सिरीए भरीय सेस महियलु पूरंतउ । निय-बलि चडियउ सुकल-झाण-जय-करि चोयंतउ ॥२६ आवंतउ जिणु निसुणि मोहराइ णि[य]-मणि हारिउ । धीरत्तणु करि तह-वि वल विलहणउ कराविउ ॥ मयण-कसाय-प्पमुह-भडह मत्थइ बंधावइ । वीर-वट्ट मिच्छत्त-जोह सेणावइ ठावइ ॥२७ सत्त-कम्म-मंडलिय-राय-परिवरिउ मोहू । संभालिंतउ सयलु सिन्नु मिल्हवि मण-खोहू ॥ तम-खेहा-रणि-पसरि नाण-सूरु वि रुंधतउ । गुरुयाडंबरि पवण-वेगि लहु सीम पहुत्तउ ॥२८
२३. ४. पूरियओ. २६. २ °वादि. ३. पूरतओ. ४. किरि. २७. १. हारिआ. २. कराविओ. ४. सेणावय ठावय. २८. ३. रुवंतउ. १. पहुत्तभो.
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