SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन गुर्जर काव्य संचय छप्पन्न ए दिसिकुमारीहि सूइ-कम्मु तिसु निम्मविउ । इंदिहि ए सव्व-सिरीहि मेरु-सिहरि सामी न्हविउ ॥८ धाविउ तउ धन्नेहि वीससेणु वद्धावियउ ॥ कंचण ए धण-धन्नेहि वूठउ तूठउ राउ तिहि ॥९ रहसि ए राइ पब्भाइ वद्धावणउँ करावियउँ । सामियउ ए तणु रूवाइ पिक्खिवि हरसि न माइयउ ॥१० अवयरिय ए अम्मि पुत्तम्मि संति सयलि जगि वित्थरिय । सोहणी ए तो मुहुत्तम्मि संति नामु पियरि कियउँ ॥११ अह वद्धइ सो सामिसालु तिहुयण-न[य]णूसवु । धवलइ तिन्नि वि भुवण-भवण तसु जसु अंगुब्भवु ॥ दिसि-वहु-मुह पिंजरइ तासु तणु-कंति फुरंतिय । कोसंभिय पय तसु नहंसु दिसि दिसि मंडंति य ॥१२ गब्भि वि जसु ति-न्नाण दिव्व विप्फुरइ अ[२४७A)चंभू । संपय तासु कला-कलावु कु न मनइ सयंभू ॥ सुर-गुरु असुर-गुरू वि तासु किंपी गुण-कित्तणु । जइ सक्कहि इत्तलउ बेउ बहु मन्नइ अप्पणु ॥१३ जोवणि पत्तउ संति-नाहु तरुणी-जण-मोहणि । रूय-कित्ति मुक्किउ अणंगु रोवइ संकिउ मणि ॥ परिणावइ तउ वीससेणु वर-रायकुमारी । जसु सरिसी तिहु भुवणि अन्न नहु दीसइ नारी ॥१४ कुमरत्तणि पणवीस सहस वरिसइ सुह माणइ । जासु पमाणु ति-नाणु देव सो पर जय जाणइ ॥ मंडलत्ति पणवीस सहस उब्भड-भुय दंडु । तासु पयाविण विप्फुरंति कंपिउ मायंडू ॥१५ भ्रष्ट मूलपाठः ७. १. अयराएवहि. २. तेरसहि. ८. २. निम्मिविउ. ४. न्हविओ. ९. १. रहसिं. २. °वियओ. ११. ४. पियर कियओ. १२. १. वद्धय. ३. पिंजरह. १३. १. दीव. १५. २. जाणय. ३. मडलत्ति. ४. पयाविणु. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy