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११. नेमिनाथ-रास सिरि सिरि सोहइ सुर रह-सार मुरिया वनि वनि घन सहकार
___ कोइल-सुर मणहारो । मधुरा मधुकर रणझणकार गरुउ मरुउ पल्लवि फार
दमणा पार न वारो ॥१ वेउल वालउ बकुलह वृदो केतुकि करुणी कणयर-कंदो ।
फूल्या बहु मुचकंदो। नागर नरवर परमाणंदो निसिरिय विरहणी आननचंदो
हिव ऐ जिमि दिन-चंदो ॥२ करई कामिणि तणु-सिणगारो झलकइँ उर-वरि नवसर-हारो
शिरि वरि कुसमह भारो। करीअलि कंकण-नउ खलकारो पाए नेउर रणझणकारो
मृग-लोयणि सुविचारो ॥३ सहिजि सयाणि मिलीअ समाणी रितुहँ नायक आविउ जाणी
वाणी बोलइ चारो। वीणा-वाउ उच्छक थाउ सहि ए सीतल वायउ वाओ
गाउ नेमि-कुमारो ॥४ त्रिभुवन-मंडन मान-विहंडन धन धन जिणवर भवियानंदन
नंदन शिवि-दिवि चंगो। तम परहरए गुण-गण धरए रूपिहि मनभव नीराकरए
करए नितु नव-रंगो ॥५ अशरण-शरणू भव-भय-हरणू निर्जित-करणू काम-वितरणू
तरणू सिद्धि-भत्तारो। सहिजि स-करणू गत-जर-मरणू निर्जित-करणू कुल-उद्धरण
चरणू पवित अपारो ॥६ जलधि-गहिरू शाम-शरीरू साहस-धीरू जादव-वीरू
मद-महि-दारण-शीरू ॥
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