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गौतमस्वामी रास
जोजन-भूमि समोसरणु पेखइ प्रथमारंभि । दस-दिसि देखइ विबुध-वधू आवंती संरंभि ॥१८ मणिमय तोरण दंड धज कउसीसे नव घाट । वयर-विवज्जितु जंतु-गण प्रातीहारिज आठ ।१९ सुर नर किन्नर असुरवर इंद्र इंद्राणि राय । चित्ति चमक्किउ चीतवए सेवंता प्रभु-पाय ॥२० सहस-किरण जिम वीर-जिणु पेखवि रूव-विसालु । एहु असंभमु संभवए साचउँ अह इंद्रियालु ॥२१ तउ बोलावइ त्रिजग-गुरो इंद्रभूइ-नामेण । श्रीमुखि संसा सामि सवि फेडइ बेहु पएण ॥२२ मानु मेल्हि मद ठेलि करे भगतिहि नामइ सीसु । (त) पंच सए सिउँ व्रत लियए गोयमु पहिलउ सीसु ॥२३ बंधव संजम सुणवि करे अगनिभूति आवेइ । नाम लेइ आभाखि करे तं पुण प्रतिबोधेइ ॥२४ इणि अनुक्रमि गणहर-रयण थाप्या वीरि अग्यार । तउ उपदेसइ भुवन-गुरो संजम-सउँ व्रत बार ॥२५ बिहुँ उपवासह पारणए आपणपइ विहरंति । .. गोयम-संजमि जग सयलो जयजयकार करंति ॥२६
वस्तु इंद्रभूइय इंद्रभूइय चडिय बहु-मानि हुंकारइ कंपतउ समवसरणि पहुतउ तुरंतउ । . अह संसय सामि सवि चरम-नाहु फेडइ फुरंतउ । बोध-बीज संजाय मनि गोयमु भवह विरत्तु । दिक्ख लेइ सिक्खा-सहिय गणहर-पय संपत्त ॥२७.
भास आज हूयउं सुविहाणु आजु पचेलिम पुन्न-भरो । दीठउ गोयमु सामि जउ निय-नयणे अमिय-सरो ॥२८ समवसरण मज्झारि जे जे संसय ऊपजइँ । ते ते पर-उपगार- कारणि पूछइ मुनि-पवरो ॥२९
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