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१०. गौतमस्वामी-रास [कर्ता : उपाध्याय विनयप्रभ रचना-समय : १३५६ लेखन-समय : १३७४ ] वीर-जिणेसर-चरण-कमल कमला-कय-वासो
पणमवि पभणिसु सामिसाल-गोयम-गुरु-रासो । मण तणु वयणु एकंति करवि निसुणह भो भविया
जिम निवसहँ तुम्ह देह-गेहि गुण-गण-गहगहिया ॥१ जंबु-दीवि 'सिरि-भरह-खित्ति खोणीतल-मंडणु
मगध-देसु श्रेणिय-नरेसु रिउ-दल-बल-खंडणु । धणवर गुव्वर-नाम-गामु जहि जण गुण-सज्जा
वि| वसइ वसुभूइ तत्थ जसु पुहवी भज्जा ॥२ ताण पुत्तु सिरि-इंदभूइ भू-वलय-पसिद्धउ
__चउदह-विज्जा-दिविह स्व-नारी-रसि विद्धउ । विनय-विवेक-विचार-सार-गुण-गणह मनोहरू
सात हाथ सुप्रमाण देह रूवि रंभावरू ॥३ नयण-वयण-कर-चरणि जिणवि पंकज जलि पाडिय
तेजिहि तारा चंद सूर आकासि भमाडिय । रूविहि मयणु अनंग करवि मेल्हिउ निद्धाडिय
____धीरिम मेरु गंभीर सिंधु चंगिम चय चाडिय ॥४ पिक्खवि निरुवम रूवु जस्स जण जंपइ किंचि य
एकाकी कलि भीत इत्थ गुण मेल्हा संचिय अहवा निश्चइँ धुव्व-जम्मि जिणवरु इणि अंचिय
रंभा पउमा गउरि गंग रति हा विधि वंचिंय ॥५ नहि बुध नहि गुरु कवि न कोवि जसु आगइ रहियउ
पंच-सयं गुण-पात्र-छात्रि हिंडइ परिवरिउ । करइ निरंतर जन्य-करम मिथ्या-मति मोहिय
इणि छलि होसिइ चरण-नाण-दसणह विसीहिथ ।।६
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