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गयसुकुमाल-रास
जाइवि पुच्छइ नेमि-कुमारू संसउ तोडइ तिहुयण-सारू । पुल्वि छच्च रयण तइँ हरिया. तिणि कारणि तुह सुय अवहरिया ॥ ___ कंसु वि होइ निमित्त वर करह करेई ।
सुलस सराविय ताम्व सुरु अल्लइ नेई ॥८ देवइ सुणिवर वंदइ जाम्ब हरिस विसाउ धरइ मणि ताम्व । सुलस स धन्निय जसु घरि लछिय हउं पुण वाल-विउइहि दद्धिय ॥
रहु वालाविउ ता........................
............... रिसिय नारी पिच्छइ काई (१) ॥९ खिल्लावइ मल्हावइ जाम्व देवइ मण दुम्मण हुई ताम्व । तं पिक्खिय अहिययर [वि] सूरइ वासुदेउ मण-वंछिउ पूरइ ॥
सुमरइ अमर-नरिंदो महु देहि सहोयरु ।
सयल-गुणेहिं जुत्तो निय-जणणि-मणोहरु ॥१० वुल्लइ सुरु सुरलोयह चविसी देवइ कुक्खि सो संभविसी । जायउ सुंदरु गुणिह विसालू नामु ठविउ तस गयसुकुमालू ॥
साहिय सहिय कलाउ संतुट्ठउ लोयह ।
जुव्वण-समय पहुत्तो नवि इच्छइ धूयह ॥११ सोम सरूव धूव परिणाविय जायवि तहि जन्नत्तह आविय । नच्चइ हरिसिय वज्जहि तूरा देवइ ताम्व मणोरह पूरा ॥
तावह गयसुकुमालो संसार-विरत्तउ ।
निहणिवि मोह-गइंदो जिण-पासि पहुत्तउ ॥१२ पणमिवि तिन्नि पयाहिण देई धम्म सुणइ सो कर जोडेई । पुण पडिवोहिउ नेमि-जिणिदं(दि) जायव-कुल-नहयलजय-नंद(दि) ॥
काम-गइंद-मइंदो सिव-देविहि नंदणु ।
देसण करइ जिणिंदो सिवपुर-पह-संदणु ॥१३ मोह-महागिरि-चूरण-वज्जू भव-तरुवर-उम्मूलण-गज्जू । सुमरिवि जिणवरु नेमि-कुमारू गयसुकुमारु लेइ वय-भारू ॥
ठिउ काउसग्गि ताम्व जाएवि मसाणे ।
वारवई-नयरीए वाहिर उज्जाणे ॥१४ तम्मि सु दियवरु कुवियउ पेक्खइ तहिरिय जल(?) पज्जालिउ दिक्खइ । अम्ह धुय विनडिय परिणिय जेण अभिनउ तसु फलु करउँ खणेण ॥
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