________________
जीवदया-रास
३३
मूरति वपु(प) अमराज-नगी कुमरादिक्-िमाया काराविय तेमि-भुवण-माहि बिहु निम्मल-काया। काराविउ निमि-भुवमु(.), फल लयउ संसारे
निसुणहु चरितु नदंते तिमि धंधूय-प्रमारे(?) ॥४६ रिषभ-मंदिरु सासणि जाणुं धंधुय दिन्नउ डकड(?)वाणिउँ गाउं । तिणि सुमसीहि उजालिउ नाई नेमिहि दिन्नु डवाणिउ गाउं ॥४७ अनेक संघपति आवुइ आवहि कनक-कपड निमि-जिणु पहिरावहि । पूजहि माणिक-मोतिय-हूले कि-वि पूजहि सोगंधिहि फूले ॥४८ के-वि हु हियडय भावण भावहि के-वि हु मंनीणइ(?) आराहहि । के-वि चडावलि नेमि नमीजइ रासु वयणु पाल्हण पुज कीजइ ॥४९ वारसँ-वच्छरि नवमासीए वसंत-मासु रम्माउलु दोहे । एहु राहु (?) विस्तारिहि जाए राखइ सयल संध अंबाई ॥५०
राखइ जाखु जु आछइ खेडइ । राखइ ब्रह्म-संति मूढेरइ ॥५१*
* अंत : आवूरासः समाप्तः,
Jain Educationa Interational
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org