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आबू-सस
अइसि ऊदल्लु चंद्रावती आवएँ सयलु महाजनु घरि तेडावऍ । चालहु हिव आवुइ जाएसहँ (जिण)-मंदिर-थाहर-भूमि जोएसहँ ।।२५ चालिउ ऊदल्लु महाजनि सइतउँ आवुय देवल-वाडइ पहुतओ । ठमि उमि मंदिर भूमि जोयंतओ मिलिउ मेलावओ आवुय-लोयहँ ॥२६ मंदिर-थाहर नवि आपेसहँ प्राणिहि भुवणु करण नवि देसहँ । आग' विमल-मँदिर निप्पन्नओ सिरमा भूमिहि दीनउ दानु ॥२७
ठविण ऊदल्लु तित्थु पसीय वहु परि मन्नावइ । राठीवर गूगुलिया वास्तइँ पहिरावइ ॥२८
भासा
अम्हि धुरि गोट्ठिय दिव निमिनाथ विमल-मँदिरु ऊतरदिसि जाम (?) । जिण-भूमि आपहु तेइ सुवाहा (१) लइय भूमि तिजपालु वधाविउ ॥२९ महतइ तेजपाल पभणीजइ सोभनदिउ सुतहार तेडीजइ । जाइज आवुइ तुहुँ कमठाए वेगिहि जिण-मंदिर निप्पाए ॥३० चालिउ पइठ करिउ सुतहारो भूमि सुवण इक वारे अहारो । सोभनदिओ विगि आवुइ आवइ कमठा-मोहुँतु आरंभु करावइ ॥३१
भासा मूलग्ग पायार धर पूजिउ कुरु म प्रवेसु । भरिउ गडारउ तहि ज पुरे खर-सिल हुयउ निवेसु ॥३२ आसन्नी तहि ऊघडिय पाथर-केरिय खाणि । निपनु गडारउ मूलिगओ देउलु चडिउ प्रमाणि ॥३३ रूपा-सरिसउ समतुलऍ दसहि दिसावर जाइ। पाहणु तहिं आरासणउँ आणिउ तहि कमठाइ ॥३४ सरवर घाटु जो नीपजऍ मंदिर वहु विस्तारि । त अतिसइ दीसइ रूवउउँ नेमि-जिणिंद-पयारु ॥३५
ठवणि सोभनदेउ सुतहारो कमठाउ करावइ ।
सइतउ मंत्रि तिजपालो जिणु-विवु भरावइ ॥३६ २८. २ मनावइ. ३३. १ आसंनी
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