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प्राचीन गुर्जर काव्य संचय लुणसा-पुत्तु जु विरधवलो राणउ अरडक-मल्लु । त चोर-चराडिहि आगलओ रिपु-रायह उरि सल्लु ॥१३
भासा वस्तपाल तसु तणइ महंतउ सहुयरु तेजपाल उदयंतउ । अभिणवु मंदिर जेण कराविय ठावि-ठावि जिण-विंव भराविय ॥१४ महि-मंडलि किय जे णि उद्धारा नीर-निवाणिहि सक्कारा । सेतुज-सिहरि तलावु खणाविउ अणपम-सरु तसु नामु दियाविउ ॥१५ नितु नितु सुर-संघ पूजा कीजइ छहि दरिसण-धरि दाणु वि दीजइ । संघ-पुरिस पुहविहि सलहीजइ राजु वधेला वहु मनि मानिजइ ॥१६ अन्न-दिवसि निय-मणि चिंतीजइ महतइ तेजपालि पभणीजइ । 'आबू भणिजइ तीथहँ ठाउँ जइ जिण-मंदिर तह नीपावउँ' ॥१७ ठाकुरु ऊदल ताव हकारिउ कहिय वात कान्हइ वइसारिउ । आवू रिखभह मंदिर आछइ महतउ तेजपालु इम पूछइँ ॥१८ वीजउ नेमिहि भुवणु करेसहँ जइ जिण-मंदिर-थाहर लहिसहँ । पहिलउ सोम-नरिंदु पूछीजइ कटक-माहि जाइवि विनवीजइ ॥१९
ठवणि महतिहि जायवि भेटियो थावल-देवि-मल्लारु । त कर जोडेविगु वीनतओ सोम-नरिंद प्रमारु ॥२० त विनति अम्हहँ तणीय सामिय तुहु अवधारि । त मागउ थाहर मंदिरह आबूय-गिरिहि मझारि ॥२१ त तूठउ थाँवलदिवि-तणउ आगइ कहियउ एहु । त विमलह मंदिर-आसनउँ विजउ करावहु देव ॥२२ अम्हि धुरि गोठिय आवुयह आगे अछह निवाणु । त करिज मंदिर तिजपाल तुहुँ हियइ म धरिजहु काणि ॥२३
भासा दियइ आयसु तह सोम-नरिंदो वस्तपालु तेजपालु ऑणंदो जिण-सामिय-मंदिर वेगि निप्पज्जएँ अइसु निरोपु हिव ऊदलु दीजऍ ॥२४ १३. ४. सालु. १७. १ अंन. २०. ३ कड. २२. ३. आससउं.
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