SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चंदनबाला-रास आगइ छइ मणि अवरतउ पीठ लेवि वीकणिसउं बाली ॥१९ छुडुपुड्ड कोसंबी संपत्तउ पीठ-वारि आइयउ तुरंतउ । खड-पूलउ सिरि ऊभियउ ताव तेत्थु धणवइ संपत्तउ । दीठी बाल स रूवडिय धीय भणिउ धनु देविणु लेई ॥२० भुंभर-भोली सा सुकमाला नाउं दीन्हु तसु चंदणबाला । लेउ उच्छंगि घरि आवियउ माइ भणिउ गेहिणि हक्कारी । धाइय सेठिणि सामुहिय धीय भणिउ तासु वि आपेई ॥२१ पाए घाघरिया झमकारो गलइ रुलंतउ सोहइ हारो । कन्ने वीडस सरलिया (?) तसु सिरि लंबउ केस-कलाउ । धणवइ-धीय स चंदणह दीठिय देह पणासइ पाउ ॥२२ अन्न-दिवसि धणवइ चिंताविउ पवहण-केरउ मंत्रु मंत्राविउ । हट्ट उठिउ धरि आवियउ चंदण मणि आणंदु करेई । एक तx पाणिउ लियइ तायह तणा चलण धोएई ॥२३ धोवइ चलण चंदण सम-भाविं तसु सिरि छुट्टउ केस-कलाओ । सेटूि सु अणुरायह गयउ जइ परि करिसइ इह घर-नारि । मइ परिहरिसइ इणि मिसिण जोइजि ज करउँ इह मो सारी (?) ॥२४॥ अन्न-दिवसि पवहणि संपत्तउ तक्वणि तेडिउ बइदु तुरंतउ । ओ घल्लिय पच्छिम-हरए सिरि मुंडिय निवले पूरावी । घरु तालिउ जण वारियउ छुइ ?)सुंदरि दुलहल(?)रोवंती ॥२५ माइ ताय मति बुद्धि न लाधी पर-धर-मंडण दुखे दाधी । आधा खंडा तप किआ किव लाभइ बहु-सुक्ख-निहाणू । फूटि रि हियडा ! वज्जमए अन्नह जम्मि न दिन्नं दाणू ॥२६ अन्न-दिवसि पवहणे वहंते दाहिण दिसि जंबू भासंते । तसा निबलु ऊ पंगुरउ(?) किणि कारणि विइउ चक्खु फुरेई । वलिउ जाव धरि आवियउ कह चंदण धणवइ पभणेई ॥२७ डोकरि एक वरिस-सय-भूती दाँत पड्या छइ खाटह सूतो। तेण वात धणवइ कहिय बूढा काइ करेसइ कोए । धिय चंदण पच्छिम-हरए माथा-ऊपरि दंड न होए ॥२८ Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy