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________________ जीवदया-रास गउ दसरथु गउ लक्खणु रामु हियडइ धरउ म कोइ विसाओ। वार वरिस वण सेवियउ लंका राहवि किय संहारु । गइय स सीय महा-सइय पिक्खहु इंदियालु संसारु ॥३६ जसु घरि जमु पाणिउ आणेई फुल्ल-पयरु जसु वणसइ देई । पवणु बुहारइ जसु उवहि करइ तलारउ चामुड माया । ___ खूटइ सो रावणु गयउ जिणि गह बद्धा खाटहँ पाए ॥३७ गउ भरथेसरु चक्क-धुरंधरु जिणि अट्ठावइ ठविय जिणेसरु । मंधाता नलु सगरु गओ गउ कउरव-पंडव-परिवारो। सेत्तुजा-सिहरिहि चडिवि जिणि जिण-भवण कियउ उद्धारो ॥३८ जिणि रणि जरासिंधु विद्दारिउ अहि-दाणवु बलवंत उ मारिउ कंस केसि चाणूरु वहि ऊजिलि ठवियउ नेमिकुमारु बारवई-नयरिय धणिउ कहहि सु हरि गोविहि भत्तारु ॥३९ जिणु चउवीसमु वंदिउ वीरु कहहि सु सेणिउ साहस-धीरु । जिण-सासणह समुद्रणु विहलिय-जण-बंदिय-सद्धारु । रायग्गिह वर-नयरियहँ बुद्धिमंतु गउ अभयकुमार ॥४० पाउ पणासइ मुणिवर-नामिं वयरसामि तह गोयमसामि । सालिभद्द संसारि गउ मंगलकलस सुदरिसण सारो । थूलभदु सतवंतु गओ धिगु धिगु यहु संसारु असारु ॥४१ गउ हलहरु संजम-सणगारु गयसुकुमालु वि मेहकुमारु । जंबुसामि गणहरु गयउ गउ धन्नउ ढंढणह कुमारु । जउ चिंतिवि रे जीव ! तुहुँ करि जिण-धम्मु इक्कु परिवारो ॥४२ जिणि संवच्छरु महि अंबाविउ अंबरि चंदिहि नामु लिहाविउ । ऊरिणि की पिरिथिमि सयल अनु पालिउ जिणधम्म पवित्तु । उज्जेणी-नयरी-धणिउ कह अजरामर विमादीतु ॥४३ गउ अणहिलपुरि जेसलु राउ जिणि उद्धरियलि पुहवि सयाउ । कलिजुग कुमर-नरिंदु गउ जिणि सव-जीवहँ अभउ दियाविउ । उनएसिहि हेमसूरि-गुरु अहिणव कुमरविहारु कराविउ ॥४४ ३८. ५ सेत्तुजा. ३९. ३. कहि. . ५ धणि उ. ४०. १ दंदिउ. ४ १. २. सामि. ४२. १. णगारु. ६. जिणु ४४.६. कुमरु विहारु. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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