SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . प्राचीन गुर्जर काव्य संचय जणणि भणइ मइँ उवरहँ धरियउ बप्पु भणइ महु घरि अवतरियउ । अणखाइय महिलिय भणइ पातग-तणइ न मारगि जाउँ । अरथु धरमु विहँचिवि लियउँ विदि नत्थी पतु घडसइ न्हाउँ (१) ॥९ यउ चिंतिवि निय-मणिहि धरिज्जइ झुद्री साखि न कासु वि दिज्जइ । आलिं दिन्नइ आल-सउ जउ अजु हूवउ कालु न होसइ । अनु चिंतंतह अन्नु हुइ धंधइ पडियउ जीउ मरेसइ ॥१० पुडइ निपन्न जेम जल-बिंदु तिम संसारु असारु समुंदु । इंदियालु नङ-पिक्खणउ जिम अंबरि जलु वरिसइ मेहु । पंच दिवस मणि छोहलउ तिम यहु प्रियतम-सरिसउ नेहु ॥११ अरि जिय ! परतहँ पालि बँधीजइ जीविय-जोवण-लाहउ लीजइ । अलियउ कह वि न बोलिजइ सुद्धइ भाविहि दीजइ दाणु । धम्म-सरोवर विमल-जलु झडइ पाउ निय-मणि यउ जाणु ॥१२ पंच दिवस होसइ तारुन्नु झडइ देह जिम मंदिर सुन्नु । जाणंतो वि य जाणइ य दिक्खताह इ तोइ पयाणउ । वट्टहँ संबलु नहु लयउ आगइ जीव किसउ परिमाणु (१) ॥१३ दिवसे मासे पूजइ कालु जीउ न छूटइ विरधु न बाल । छडउ पयाणउ जीव तुहु साजणु मित्त वोलावि वलेसइ । धम्म परत्तह संबलउ जंता-सरिसउ तं जि चलेसइ ॥१४ अरि जिय! जइ बूझहि ता बूझु वलि वलि सीख कु दीसइ तूझु । वारि मसाणिहि चिय बलइ कुडि दाझंती गंधि न आवइ । पाव-कूव-भिंतरि पडिउ तिणि जिण-धम्मु कियउ नवि भावइ ॥१५ जिम कुंभारिं घडियउ भंडू तिम माणुसु कारिमउ करंडू। करतारह निप्पाइयउ अटुत्तर सउ वाहि-सयाइं । जिम पसुपालह खीरहरु पुट्ठिहि लग्गउ हिंडई ताई ॥१६ देहा-सरवर-मज्झिहि कमलो तहि बइठउ हंसा धुरि धवलो । काल-भमरु ऊपरि भमइ आउ-खए रस-गंधु वि लेसइ । अणखूटइ नहु जिउ मरइ खूटा-ऊपर घरी न देसइ ॥१७ १०. ३. दिनइ. १०. ५. अनु. ११. १. निपन, विंदु ४.अवरि, १२. १ वंधी. १२. ३. वोलि . १२. ५. संबलु १४. २. वालु, १४. ५. संवलओ, १५.१ बूझहि. १५. ३. वलइ. १६. २. करंड. १६. ५ पमुयालह. १७. १. कमलु. १७. ३. कालु. १७. ६. दीसइ. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy