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सील-संधिः
विसमसर-पसर-झड-भग्ग-सव्वायरा ते वि सीलंग-भर-वहण-अइकायरा ॥२२ सीसु नामंति जे कस-वि नहु अत्तणो सुहड-भडवाय-पडिभग्ग-पडिसत्तुणो ।२३ राग-निविडेण मयणेण पुण दामिया ते वि अबलाण पाएसु नर नामिया ॥२४ बंभ चउ-वयण किउ रुद्द नच्चाविओ इंद सहसक्ख तवणो वि तच्छाविओ ।२५ सयल सुर विसय-जंतेण इय घल्लिया मयण-मल्लेण इक्खु व्व संपिल्लिया ॥२६ नाणवंतं वि तव-तविय-निय-देहया तिव्व-भावेण परिचत्त-धण-गेहया ।२७ राग-गहगहिय पुण विस्समित्ताइणो लोय-पयडा वि अब्बंभ-पडिसेविणो ॥२८ सेणिय-निव-पुत्त वि अइसय-जुत्त वि नंदिसेण जिण-सीस जह। हूउ विसयासत्तउ इंदिय-जित्तउ ता धरित्थ इंदिय-बलह ॥२९
गुरु-वयण-अमिय-रस-सित्त-अंग वेग्ग-खग्ग-हय-सयल-संग ।३० वम्मह-मय-भंजण-दढ-पइन्न अक्खंड-सील पालइँ ति धन्न ।३१ मयरद्धय-सबल-समीरणेण सुरगिरि-गुरुयाण वि चालणेण ।३२ सील-दुम कंपिय नेव जाह गुरु-भत्तिहि पणमउँ पाय ताह ।३३ उब्भड-नवजुव्वण-आण-सज्ज नव-रंग चत्त जिणि अट्ठ भज्ज ॥३४ मोहारि-अगंजिय सिद्धि-गामि सो जयउ जयउ जगि जंबु-सामि ।३५ वेसा-घरि छहि रसि रिसि अहार वीससवि (2) तिहुयण-मल्ल-मारु ३६ झाणग्गि दहवि जिणि तसु विणासु किय थूलभद्द पइ नमउँ तासु ॥३७ रहनेमि प[५२०A]राजिय विसय-अग्गि पडिवोहवि ठाविय जीइ मग्गि ।३८ सा सीलवंत उगसेण-धूय । सीलिण तिहु भुवणहि पयड हूय ॥३९ अभयादेवि संकडि पाडिएण मणसा वि न लंधिय सील जेण ।४० महमहइ महारिसि-मज्झि जस्स जस-परिमल सिद्वि-सुदंसणस्स ॥४१ निय सील-भंगि भय-भीरुयाहि अवि रज्ज-लच्छि परिचत्त जाहि।४२ ते नम्मय-सुंदरि मयणरेह धुरि लहइ महासइ-मज्झि रेह ॥४३ निय कंतु मुत्त सुमणे वि जाउ पर-पुरिस न कंखइ इत्थियाउ ।४४ उवसग्ग-संगि निव्वडिय सत्त जाउ वि महासइ जिणिहि वुत्त ॥४५ सुभदा रय-सुंदरि अंजण-सुंदरिदोवइ-दवदंती-पमुह । गुण-रयण-समिद्धिय भुवण-पसिद्धिय जयइ महासइ सील-धर ॥४६
२०. १ वखित्तिया; २ चत्तिया. २२. २ अय. २३. २ पडिसत्तणो. २४.१ निवडेणे. २५. १ निचाविओ. २९. २ अयसय. ३१.१ पयन्न. ४२. १ नीय. ४३.२ लहय महासय. ४५.२ महासय.
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