SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन गुर्जर काम्म संचय कद्दमि तणु लिंपण-मिसि निअ-हिअ गहिअ सील-रक्खणि सन्नाहिअ ।३५ समयणिहि (?) पत्तइं किर फाडइ वत्थमिसिण सा पमुइ हिअडइ ।३६ लंखइ धूलि भुअंग-त्तासणि नच्चइ गायइ सती-सिरोमणि ।३७ सार मुणिवि निवु गुणिआ पेसइ पाहण-लंखणि ते वित्तासइ ।३८ ॥ घत्ता ॥ इय गहिली जाणिय निव-पमुहिहिं लोइहि बुद्धि-पहाणिअ सील-सकल डिभिहि कलिय । मुक्त अमोहिहि भणइ थुणइ जिणु अक्खलिय ॥३९ मित्तह जिणदेवह कहइ वीरु नम्मय-वइअरु तसु खिवइ भारु १ भरुअच्छह गच्छइ निय-पुरम्मि जिणदेव पत्तु अह कूलि तम्मि २ दिट्ठा नैच्चंती विगल-रूव जिणदेवि पुठ्ठ 'तउँ किं सरूव' १३ सा भणइ 'कहिसु क्ण-चेइअम्मि' अन्नोन्न कहिउ वइअरु वणम्मि ।४ सो बुद्धि देइ सा धरइ चित्ति अह घय-घड फोडइ गहिलिअ त्ति ।५ घय-वणिअ कुणइ निव-पासि राव जिणदेवह कहइ नरिंदु ताव ।६ 'ए करइ उवद्दवु घणउ देसि पवह णि आरोहिवि लइ विदेसि ।७ नरनाह-वयणु मन्नेवि नियलि बंधिवि चडावि पवह णि विसालि ।८ भरुयछि वंदाविवि देव नीअ जिणदेवि नमय पिअ-हरि विणीअ ।९ रोअंत कहइ वुत्तंतु सयलु पियरिहि पुरि उच्छवु विहिउ अतुल ।१० नमया-पुरिअ दस-पुव्व-धारि सिरि-अज्ज-सुहत्थि संपत्तु सूरि ॥११ वंदइ सहदेवु कुडुंब-कलिउ निसुणेवि धम्मु नमयाइ सहिउ ।१२ अह वीरदासु पुच्छइ मुर्णिदु किं नम्मयाइ किउ कम्म-विंदु ।१३ पुग्विल्ल-जम्मि जं दुक्ख जुत्त । पइ-चत्त जिअंती कह वि पत्त' ।१४ अह कहइ मुणीसरु 'नम्मयाइ । एयाइ विंझगिरि-निग्गयाइ ।१५ अहिठायग देवय आसि एह पुब्विल्ल-जम्मि मिच्छत्त-गेह ।१६ पडिमा-पडिवन्नह मुणिवरस्स एगस्स नई-तडि निसि ठिअस्स ।१७ "एए नइ-न्हाणह निंदग"त्ति पढम पडिकूलुवसग्ग-गत्ति" ।१८ पच्छाणुकूल थी-रूव-पमुह कय खोभ-हेउ देवीइ दुसह ।१९ १ मिसिणि. २ पमुई. ३. वुद्धि. ४ अमोहिहिं. ५ वईअरु. ६ नञ्चति. ७ वईमरु. ८ बिंदु. ९ नम्मयाई. १० गति. Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy