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नमयासुदरि-संधि
वीरु स-दार-तुटु तिणि जाणित कंवडिहि हरिणी सी वक्खाणिउट वेर्स' दासि भणइ एगंते - 'नारि ज दिट्ठा सिद्धि-गिहंते ।९ भयणि सुआ वा निरुवम-रूवा सा जइ वेस तु हुईं वसि देवा' ।१० इअ मंतिवि तिणि मुद्दा-रयणू मग्गिउ अप्पिउ सिद्वि-पहाणू ११ पडिछंदा-दंसण-मिसि पेसिअ मुद्दा नमया(य) दंसिअ दासिअ ।१२ "तेडइ तुम्हि एवड-अहिनाणिहि वीरदासे आवउ अम्हा मुवणिहि ।१३ नाम-मुद्द पिक्खिवि चिंतिवि बहु सह दासिहि नमया आविअ लहु ।१४ हरिणी-गिह-पच्छलि भूमी-हरि पुन्व-सिक्ख तिणि घल्लिअ निझुरि ।१५ मुद्दा दासिहि अप्पिअ वीरह... नमया दोसु देइ दुक्कम्मह.. ।१६... उट्रिउ सिट्रि जाइ निय-मंदिरि .. ता नहु पिच्छइ नमया-सुंदरि ।१७.. घरि बाहिरि पुरि न [लहइ सुद्धि भरुयछि गउ कय-बुद्धि स-रिद्धि ।१८ कइढिय भूमि-गिहाउ महासइ .. जाणिउ वीर गयउ अह दंसइ ।१९ सयल-रिद्धि 'एअह तइँ सामिणि करउँ होसि जइ वेसा भासिणि ।२० सग्गु एहु ता [मिल्हि. असग्गहु' . हरिणि-वयणु निसुणिवि नमया लहु ।२१ वज्ज-हय व्व भणेइ महासइ 'मह जीवंति सीलु न नस्सइ ।२२ सीलु सयल-दुक्ख-क्खये -कारणु सील सिद्धि-सुर-लच्छिहि कम्मणु ।२३ नरय-नयर-गोपुर वेसत्तणु उत्तम-निदिअ तसु किं वन्नणु' ।२४. तं निसुणिवि तज्जइ निब्भच्छइ हरिणी कणइर-कंबिहि कुट्टइ ।२५. जइ जल-निहि मज्जाया मिल्हइ तह वि न नम्मय सीलह चल्लइ ।२६ जाइ धरणि-तलु जइ पायालह तुट्टिउ पडइ गयणु जइ मूलह ।२७. तिमिरु तरणि जइ ससि विसु वरिसइ तह वि न नम्मर्य-सीलु. विणस्सइ ।२८ इयं अ-चलंती बहुहा ताडइ लट्ठि मुट्ठि पुण सत्त न पाडइ ।२९ कुणइ सई परमिट्ठिहि सरणं तसु पभावि हुइ हरिणी-मरणं ।३० जाणिउ सुद्धि नरिंदु निवेसइ तसु पदि नमया कारणि मन्नइ ।३१ चिंतइ 'मज्झ सीलु नहु भंजइ इंदु वि' अह निवु तहि हक्कारइ ।३२ वेसा-गिह-निग्गमु सुंदर मणि जाणिवि निव-पेसिअ-सुक्खासणि ॥३३ आरोहिवि पह-तडि उग्घडियह . जंती पडइ : मज्झि सा खालह ।३४
१ वसं. २ पडच्छदा. ३ वीरुदासु. . जीवंतीअ. ५. दुक्खयकारणु. ६. निंदीम. ७. नमयं. ८. ईय.
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