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________________ १४ १०. भास १. छन्द वस्तुवदनक; अन्त में एक वस्तु । भास २. छन्द वदनक; अन्त में एक वस्तु । भास ३. छन्द दोहा; अन्त में एक वस्तु । भास ४. छन्द सोरट्ठा ( प्रास - रहित ); अन्त में एक वस्तु भास ५. छन्द सोरटूट्ठा; विषम चरणों में चार मात्राओं के बाद गेयतार्थ 'ए' का प्रक्षेप; क्वचित् सम चरणों के अन्त में भी 'ए' । अन्त में एक वस्तु । भास ६. छन्द १६+१६+१३ ( या १४) मात्राओं की त्रिपदी । ११. छन्द १६+१६+११ ( या १२) मात्रओं की त्रिपदी | १२. पहले खण्ड का छन्द वस्तुवदनक । अन्तिम ५ तुकों में सोरट्ठा (विषम चरणों में चार मात्राओं के बाद 'ए' कार ) । दूसरे खण्ड का छन्द वस्तुवदनक | अन्तिम दो तुकों में वस्तु या रड्डा तीसरे खण्ड का छन्द वस्तुवदनक; अन्तिम दो तुकों वस्तु । चौथे खण्ड में चार तुक सोरट्ठे की; बाद में दो वस्तु । पाचवें खण्डका छन्द वस्तुवदनक; अन्तिम दो तुक वस्तु की । छठे खण्ड का छन्द मदनावतार; अन्तिम एक तुक का छन्द वस्तु | सातवें खण्ड का छन्द दोहा; अन्तिम छह तुक सोरट्ठे की । १३. आरम्भ में १२+१० की चतुष्पदी और वदनक से बने हुए मिश्र छन्द की एक तुक | बाद में १२+१० को चतुष्पदी की एक तुक का ध्रुवक । बाद में अन्त तक वदमक । १४. खण्ड १ और २ में मुख्य छन्द वस्तुवदनक, और घात में वस्तु खण्ड ३ में मुख्य छन्द वदनक, और अन्त में ( १३वीं तुक) १२+१० की चमुष्पदी की एक तुक । खण्ड ४ (१४वीं तुक से शुरू) में मुख्य छन्द वदनक, और घात में वस्तु । वज्ड ५ में छन्द सोरट्ठा (विषम चरणों की चार मात्राओं के बाद 'ए' कार ) । खण्ड ६ में मुख्य छन्द १६+१६+१३ की त्रिपदी, और अन्त में एक तुक १२+१० की चतुष्पदी की । १५. खण्ड १ में छन्द दोहा (विषम चरणों के बाद 'अनु' का प्रक्षेप; सम चरणों का अन्तिम अक्षर दीर्घ ) । खण्ड २ में छन्द मदनावतार | खण्ड ३ में छन्द दोहा (सम चरणों के अन्त में 'त' कार का प्रक्षेप ) । खण्ड ४ में छन्द सोरट्ठा । १६. खण्ड १ में छन्द १२+१० की चतुष्पदी और वदनक के मिश्रण से बनी हुई द्विभङ्गी । खण्ड २ का छन्द मदनावतार ( ३५ वीं तक में १०+८+१३ की षट्पदी है) । खण्ड ३ में छन्द मदनावतार | खण्ड ४ में छन्द वदनक । १७. खण्ड १ में छन्द वस्तुवदनक । ठवणि में वस्तु । खण्ड २ में छन्द १३+१५ ( या १६ ) की चतुष्पदी; ठवणि में वस्तु । खण्ड ३ में छन्द दोहा (तीसरे चरण के आरम्भ में 'त' का प्रक्षेप) । ठवणि में वस्तु । खण्ड ४ में छन्द वदनक | १८. १९. छन्द दोहा । २०. छन्द ९ (=५+४)+९(=५+४)+१७ (=५+५+५+२) की षट्पदी | २१. छन्द दोहा (विषम चरणों के आरम्भ में 'अरे' का प्रक्षेप) । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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