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भविष्य
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उत्तम पु० ए० व०
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ब० व० के " ब० व० के
प्रथम
कर्मणि अंग के प्रत्यय - ०ईज् ०, ० इज्० कर्मणि वर्तमान कृदन्त का प्रत्यय-०३
नामिक रूपाख्यान
० इसु, ०इसउं.
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• इसहँ, ०एसहँ (जैसे कि 'करे सहँ', 'लहिसहँ' ७.१९.) - ०इसइ, ०एसइ ( ' होइहि' - ५.२४ - में ० इहि )
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११
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कर्मणि भूत कृदंत के लकार - विस्तारित रूप - 'उद्वरियलि' (५.४४), 'उलखियला ' (२७. २.१), 'बांधुला' (२७.४.२), 'सीधलउ' (४०.९), 'दिन्छु' (६.२१ ) भी उल्लेखनीय है । संबंधक भूत कृदन्त के प्रत्यय - ० एवि ० इवि, ०अवि, ०३, ०इउ.
- ०ईतउ (जैसे 'वदीत ' १.३८, .२५.१२)
कुछ उल्लेखनीय बातें ये हैं :
विस्तारित अकारान्त नपुं. कर्ता वि० ए० व० का प्रत्यय - ०उं ( उ० ).
विस्तारित अकारान्त पुं. नपुं संज्ञा की कर्ता विभक्ति के एक वचन के आकारान्त रूप के उदाहरण अत्यंत विरल है - ५.१ में 'हंसा' और २७.४.२ में ' बांधुला' है ।
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क्रमांक ५ वाली रचना में अकारान्त पुंल्लिंग की कर्ता विभक्ति बहुवचन के ०ई प्रत्यय वाले कुछ रूप मिलते हैं (जैसे कि 'दिवसडई' ५.६, 'जीवई' ५.२५, 'थियई' ५३०, 'दुक्खियई' ५.३२, 'अपुन्नइ बप्पुडई' ५.३३), जो हिन्दी आदि के ०एं प्रत्यय वाले रूपों के पुरोगामी जान पडते हैं ।
करण - अधिकरण वि० ए० व० के प्रत्यय - ०३ (०३), ०इहिं (०इहि). करण - अधिकरण वि० ब० ब० के ०ए प्रत्यय वाले रूप मिलने लगे हैं-जैसे कि 'पाए' (४.४०), 'रागे' ( ४.४१), 'दिवसे मासे' (५.१४), 'कुमासे' (६.३०), 'कउसी से (१०.१९).
अधिकरण ए० ० के हं प्रत्यय वाला 'उवरहं' (५.९) तथा अकारान्त स्त्रोलिंग के ०ह प्रत्यय वाला रूप क्वचित् मिलता है ।
अपादान और संबंध विभक्ति एक वचन के लिये अंग के अन्त्य स्वर के अनुसार ०, ०हिया • प्रत्यय हैं । सार्वनाभिक रूप में करण विभक्ति ए० व० के 'तिणि' (२३.१५), 'जिणे' (५.४३) इणि' (२२२४ ) और कर्ता विभक्ति ब० व० का 'जिके' (४०.२) उल्लेखनीय हैं ।
नामिक विभक्ति सम्बन्ध व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त हुए कुछ पर-सर्ग ये हैं :
तणइ (७.१४), पासे (१.१७), कन्ह (११.१७), नइ (११.००), सइतर (७.२६, ३६ ), सउं (०उ) ४.३८, सिउं (२२.२० ), सरिसउ (५.११.१४, २३.१०, ३४,३७,३०.३), करि (४.४७), कए (१.९ २.२.१०, ३.१६, १०.४७), रेसि (१.१६ ७.४५, २३.९, ३७.७७ ३९.६), भणिवि (५.२८), भणेविणु (५.२८), भणिउ (६.२०, २२), भणी (१.३७), कन्हइ (१०.३०), कान्हइ (७.२८) कन्हा (१०.४९), पासि (१.९, ७.४५; १२.२५, ४५, २२ ३.४, २३.२४, २५), पाहइं ( ११.१०.१६), पाह (२३, २२), तडि (२३.३४), तणउ (१.३०), केरउ (११.१४; ३७.८), नउ ( ११.१३), करउ (२१.४), कउ ( २१.१०, ४९), माहि (७.४६, ११.२१, २२.३, २३.२२), मझारि ( ७.२१), हुतउ ( ३१.२), पाखई ( ४.३४,
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