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________________ जेहउ सद्दु सुहावणउ ता को विलडी पत्थिवह मामि यल मयच्छियहँ निच्चु नवल्ली महिलडी एबिन्नि- विज ३८. प्रकीर्ण- दोहा इ तेही त हुंति । कसु कसु घरि न वसंति ॥ १ कन्त्रिण वन्नण थणहरिण पामर जण रच्वंति । छेयत्तणु जोवंति ॥२ अणु छंदउ चारु । * पडहिँ कंत फुरंत साि मह पहुइ पास कर जोडिवि काइउँ भणउँ हर लुट्टित तु पडि ( ? ) हरि चडि लुति घणु हार तुहुँ इस तिम किम पिच्छइ तिम हसइ तिम बाला मल्हेइ | जिम तरुणहँ वासर-निसिहि वम्महु देहु देहइ || ७ तसु सारउ संसारु ॥ ३ करि काइउँ रलियावणउँ । कहि ँ उँ कहि तुहुँ कहि रली ॥४ भाऊ मुत्ती - हार । पुणु कह एही वार ॥५ तरुणी-थणहरि तरुणयहँ लज्ज कुटुंबउ सयण धणु V अंग-थल- थलि तरुणिय सा परिसंती लग्गडी जं मिहुणहँ पिम्मंधलहं तं सुत्तणु विहि-राउँ Jain Educationa International जं माइयउ न अंगि सेसउँ उरि उच्छंगि जाउँ कत्थ-वि हत्थइँ जं वल्लह कर - कुलिस-हय गुणवत्त वि तुर्हति । हियडइ धर्रास न मंति ॥६ ३. सवण. ४. मुक्कु. १०.४. मंगइ. तिम किम नयण निलुक्क । सोहगु सहि जिन मुक्क ||८ तरुणहँ चलिय ज दिट्ठि । पुणु उत्तरी न हिट्ठि ॥९ घडिउ न इक्कु जि अंगु । कवणु न मग्गइ चंगु ॥ १० तरुणिह सोहगु विहि-विहिउ । -ण-दभिण रेडियउ ॥ ११ भूल के भ्रष्ट पाठ : ३.३ जिसु. ४.२ काय. अज-वि अमवसे | aण पुणरवि जीवे ॥ १२ For Personal and Private Use Only ७.२ वाल्हा. ८. १ तरुणियहं www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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