________________
२८. अंबिकादेवी - पूर्वभव वर्णन तलहारा
X X X
X X X
तिलोत्तम
रंभ
रइ ॥४
निम्मविय ॥५
सीलिहिं जणु सीता दवदंति राणी, अंजणसुंदरी रायमइ । सोहग-सुंदरि जगह पहाणी, जा विहि निम्मल तिहँ सुह भुंजंत दुन्नि उपन्न, पुत्तरयण जणु हरि - कुमर । सिद्धु सिद्धउ रूपि रवन्न, बुडु कणिट्ठउ पुत्त तसु ॥६ इणि परि समउ अइक्कमंताहं, सुह-वसि आयउ अपर पाखु । सोमि निमंतिय बंभण ताहं, मंडण आसण साध - दिणि ॥ ७ कत्थ-वि बंभण वेद पढंति, कत्थ-वि पिण्ड प्रदानु होइ । कत्थ-वि संतिकु होमु करंति, कत्थ-वि कीजइ वइसदेउ ||८ सालि दाल पकवान- पयार, खीरि खाँड घिउ विजन । सरस संपाडिय जीमणवार, सासुव बइठिय न्हाण किन्हि ॥९
तक्खणि मुणिवरु गणिहिं संजुतु, तप-जप- संजम - नियम- धरु । मास - खमण - पारणइ पहूतु, तह घरि जंगम कलपतरु ॥ १० सुपात आविउ अंबिणि पेखि, ऊठिय हरिस - विसंटुलिय । मुणिवरो भोयण-पाणि-विसेखि, भावि भगति विहरावियउ ॥ ११
विहरि तपोधनु चालिउ जाम, दिट्ठि पलोवंतु भूमि-पहु । सासुवि न्हाविय ऊठिय ताम, देखिवि निय-मणि मच्छरिय ॥ १२
सोमहि आगओ कहियउ 'वच्छ, बहुडिय सयलु अजुत्तु कियउ' । कोपि चडिउ सोमु पभणइ 'गच्छ, हे अपलंदिए काइँ किय ॥ १३
अजउ न पूजिय अम्हि कुलदेव, अजउ न बंभण जेमियाई । अज्ज - वि पिंड भराविय नेय, कइ तई दिन्निय पदम सिहा' ॥ १४
तं वयणु सुण परिहसि भरिय, चालिय अंबिणि बंभणिय । नंदणु सिद्धु करंगुलि धरिय, कडिहि चडाविउ बुद्धु तिणि ॥ १५ तिसिय सुयहँ हि पुन्न प्रभावि, सुक्कउ सरवरु जलि भरिउ । सुक्कउ अंबउ फलियउ सावि, भुखिय पुत्तह देइ फला ॥१६
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org