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आर्द्रकुमार धवल
ईम करता ऊगिउ सूर, मुनिवर कासगो पारिउ ए । चलण मेल्हावी चालिउ दूरे, भोगहलो क्रमि भोलविउ ए । सुनंदा दानु दीयs दानह साल, दक्षिण करु दवु उल्हवइ ए ॥ दानु प्रभावि कवि पालु, आद्रकुअरु वलि आविउ ए ॥९
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॥ धउलु ॥
आद-न[र]राउ पहूत जाम, लाडीए वह उलखियउ ताम । रहि रहि थिरु थिरु मुनिवर राय, मइ उलखिउला प्रीय तुम्ह पाय ॥१ हूं तोइ वात न बोलउँ जूठी, मू-रहि सासणदेवि ति तूठी । पालउ वाचा करीउ पसाउ, तउ तिथ परिणए आद - नराउ || २ सुरवर जंपइ जय-जय-कारो, सजनह मनि आणंदु अपारो । मंगल- चार धवल तहिं दीजइँ, आद्रकुँआर- वर- गुण गाईजइँ ॥ ३ लाडी ए सुरवर तुम्हि वरीउ, सोवण्ण-कलसु अमीय- रसु भरीउ । पुव भवंतरि जिणु आराधिउ, तउ तुम्हि आद्रकुमार - वरु लाघउ ॥४ लाडीय सहज सोभागिहि रूडी, करयलि कंकण सुवण्णचूडी । लाडीए सिरवरि कुसमह भारो, पाए नेउर- रुणझणकारो ॥१५ कडि कसमसतीय सेत पटउली, लाडीय लाँकु सुमांई कउली । नवलइँ जोणि बेउ परणाव्याँ, मोह-मयणि बेउ आण मनाच्या ॥६ साव सलाखणु बेटउ जायउ, पुण्य-प्रभाविह सो घरि आयु । सामिणि सासण-देवि पसाइँ, अलिय विधन सवि दूर पुलाइँ ||७
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पुत्र-जन्मू ए २ कुलह शृङ्गारु
नीय-कुल- कमला- के लि-करो ।, कुल-मंडणू कुल-तणु दीवु मण - रंगहि जिण दित्त तसो, सासण- देवि-पसाइ जीवु ॥ नयर-लोकु आदि [उ], उच्छवु कीऊ अपारु । तउ मोकलावर वर गहणि, कारणि आद्र कुँआरु ॥१॥ धरणि पभणै २ निसुणी भरतार
सामीय काइँ उताव [लउ, ] प्राणनाह अवधारु वयणु । अजीय बाल लहूयहॅू, अजीय देव मुं दमइ मयणु ||
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