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नेमि-बारहमासा
पोसु सुपत्तउ मतिहि सियारू घिउ धेउर लापसिय कसारु । लाडू लावग भोयणु होइ पोसउ पिंडु सयलु जगु लोए । जादरि गजवडि ओढणए रयणि दिवसि नितु पडइ तुसारो । कु कुमरि स-दूखिय इउँ भणए मइ मेल्हिवि गउ नेमि कुमारो ॥७ माहु महाभडु हिम सिवयाधु वणु वणसइ पुडइणि सिय-दाधु । सिउ सिउ सिउ सिउ जणु ऊचरए जा हरिसवडि तहउ अणुसरए ॥ एक रयणि वरिसागलिय कुमरि भणइ किम करि पभणाउ । नेमि-विहूणा परि दिन हा विहि दइय न लेखे लाए ॥८ आउ आगमु फागुण-तणउँ अति सिउ पवणु फरूक[इ] घणउँ । गिरि तरुवर फल पात झलाहि डालहि डाल सिखा धरि जाहि ॥ दिणि दिणि अंगु झकोलिजए तिम्ब तिम्व सालहि वहु दुख-भार । कुमरि भणइ किम नीगमओ तइ विणु सामिय नेमिकुमार ॥९ चीतु ससिरु संपत्तु वसंतु मालइ-कोल-कमल-विहसंतु । महुय गलहि मउरिया सहार कोइल महुर करहि झंकार ॥ तरुणि नयनि काजलु ठवहि निवसहि चीर रुलावहि हारो। तो न चलइ मनु मुझ तणओ हुयवहु सरणु कि नेमिकुमारो ॥१० वयसाहहँ विहसइ वणराए वेउल कुंदु निवालिय जाए । चंपउ पाडल कुलुवु ? कल्हारो दवणउ मरुअउ देवगधारो ॥ जणु परिमल मोहिउ भमिए महु चींतत निसि नीढि विहाए । नेमिकुमरु तवचरणु गओ सखि वैसाखु दुहेलउ जाए ॥११ जेठह भाणु तवइ अइ तेओ महु निय मणि परिगलइ पसेओ । चंदणु कुसुमु पत्तल चीर लवंग कप्पूर सुवासिय नीर ॥ खणि खेवउ खणि वीजणओ तु वि तणु तवइ हुवहु सविसेसो। जिम भव आठ भतारु थिउ तसु सामिय गिरिनारि निवेसो ॥१२ मास इकादस वीता जाव आवि असाढ पहूतउ ताव । रवि किरणिहि तम तातिय अति झल लूय वाह मयमातिय ॥ अंगि अकोलु असेसु चओ सूकइ कमलु निरंतर जत्थ । तो नव रीझउ नेमि-जिणु वारह मास गया अकयत्थ ॥१३ ९. ६ दुक्ख'. १०. १. वीतु; २. मालय'. .. मुझु. ११. १. वयं.
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