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________________ २४. नेमि-बारहमासा [कर्ताः पाल्हण रचना-समय : तेरहवी शताब्दी] कासमीर-मुख-मंडण देवी वाएसरि पाल्हणु पणमेवी । पदमावतिय चकेसरि नमिउँ अंबिक-देवी हउ वीनवउँ ॥ चरिउ पयासउ नेमि-जिण करउँ कवितु गुण-धम्म-निवासो । जिम राइमइ विओगु भउ बारह मास पयासउ रासो ॥१ भणइ विचक्खण राइमइ सामल-धीर वयणु अवधारे । परिहरि देव न दोस-विणु सामि मि] गमणु करि गिरनारे ॥ (आँचली) सावणि सघण घुडुक्कइ मेहो पावसि पत्तउ नेमि-विछोहो । ददुर मोर लवहि असगाह दह दिह वीजु खिवइ चउवाह ।। कोइल महुर वयणु चवए खइ विवीहउ धाह करेई । सावणु नेमि जिणिंद-विणू भणइ कुमरि किम गमणउ जाए ॥२ भणइ विचक्षण भादरवउ असलेस उल्हारो अति घण वरिसइ घोर अधारो । वावि कूव नइ भरिय तडाग दह दिह रहिय वहंता माग ।। धरणि धराहर ओयरियो इक मइ नीरु न सूझइ पंथो । नयणि न देखउ नेमिजिणो भरु भादवउ गयउ अकयत्थो ॥३ आसउजहँ धण आस संपुन्नी धरणि कणय फल फुल्लि उपन्नी । सस्वर सथिर सच्छ छामेह निरमल नीर समग्गल नेह ॥ जणु परियणु रहसिउ भमइ महु मणि असुहु असेसु निवट्टइ। नेमिकुमरु अवगन्नियओ पाल्हणि सुति मोरउ हियडउ फूटइ ॥४ कत्तिय धण धवलहि निय-गेह मढ-देवलिहि चडहि धज-रेह । घरि घरि मंगल-चार-उछाह सुर जागहि नर रचहि विवाह ॥ हय गयवर नरवइ गुडहि मँडलिक सुहड सनाह सिगारु । देखि कुमरि मन गहवरिओ मइ मेल्हिवि गउ नेमि-कुमारो ॥५ भउ मागसिर-तणउ पइसारो भरत कणय तहि करहि सिगारो। पहिरहि मयण मजीण चीर ले कुंकू सवलहहि सरीर ॥ निय पिय किहि आयरु करहि ते पेखिवि राइमइ विसूरइ । हा विहि को अपराधु किउ नेमिकुमार विणु अणुदिणु झूरइ ॥६ १. ७. भभो; आँचलीः १, १. रायमण. ३. १. भाडवरउ, ३. भडिय. ४. १, गयवय. ६. १. पयसारो, ६. रायमइ, ८. 'कुमरु, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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