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२१. जिनचंद्रसूरि-फागु अरे पणमवि सामिउ संति-जु सिव-वाउलि-उरि हारु । अरे अणाहिलवाडा-मंडणउ सव्वह तिहुयण-सारु ॥१ अरे जिणपबोहसूरि-पाटिहि सिरि-संजमुसिरि-कंतु । अरे गाइवउ जिणचंदसूरि-गुरु कामलदेवि-कउ पूतु ॥२ अरे रुयडउ तपियउ पेखिवि न सहए रति-पति-नाहु । अरे बोलावइ वसंतु ज सव्वह रितुहु राउ ॥३ अरे आगए तुह बलि जीतज्यो गोरड-करउ वालंभु । अरे इसईं वचनु निसुणेविणु आणयउ रलिय वसंतु ॥४ अरे पाडल वालउ वेउल सेवत्री जाइ मुचकुंदु । अरे कंटुकरणी रायचंपक विहसिय केवडि-विंदु ॥५ अरे कमलहि कुमुदिहि सोहिया मानस-जवलि तलाय । अरे सीयल कोमला सुरहिया वायइँ दक्खिण वाय ॥६ अरे पुरि पुरि आँबुला मउरिया कोइल हरखिय देह । अरे तहि ठए टुहकए बोलए मयणह केरिय खेह ॥७ अरे इसइ वसंतिहि इयए माणुस केतिय मात्र । अरे अचेतन जे पाखिया तिन्हु तणी जुगलिय वात्र(?) ॥८ अरे इसउ वसंतु पेखेवि नारिय-कुंजर कामु। अरे सिंगारावए विविह परि सव्वह लोयह वामु ॥९ अरे सिरि मउडु कन्नि कुंडल-वरा कोटिहि नवसरु हार। अरे बाहहि चूडा पागिहि नेउर-कओ झणकार ॥१० अरे सिरि आमोडा लहलहहि कसतूरिय महिवटु । अरे न................ .................. ॥११ ___x x x x
x x x x ........................ट परि हुयउ देव-गण-भाउ ॥४१ रिण-तूरिहि वजंतिहि उट्ठिउ सील-नरिंदु। देखिवि उतकटु विम्हियउ सयल्लु-वि देविहि विंदु ॥४२ अरे द्रेठिहि देठिहि दीठए नाठउ रति-पति-राउ । ____xx xx __x x xx
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