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कुद्धिनिधान अभयकुमार ] खड़ा किया अझै र राजा श्रेणिक को भी वहां बुला लिया। राजा श्रेणिक उस रथ में बैठकर राजा चेतक की चेलणा नामक पुत्री को ले गये । सुजेष्ठा के बदले चेलणा कैसे आई. इसका वृतान्त “रानी चलए।" नामक पुस्तिका में लिखा गया है।
एक बार राजा श्रेणिक के बाग मैं चोरी होगई। उस बाग के सबसे अच्छे आमों को कोई चुराकर तोड़ ले गया । राजा श्रेणिक ने अभयकुमार को बुलाकर कहा-"अभय ! इन आमों का चोर जल्दो पकड़ लाओ।" "अभर ने कहा-"जो आज्ञा।"
अभयकुमार ने देश बदलकर धूमना शुरू कियो । एकबार घूमते धूमले के लोगों की एक मजलिस (मंडली) में पहुँचे। वहां इन्हें देखकर सबने आग्रह किया कि-"भाई, कोई कहानी कहो" लोगों के अधिक कहने सूनने पर अभय ने एक कहानी शुरू की--
एक कन्या थी । उसने एक माली को यह वचन दिया था कि मेरा विवाह चाहे जहाँ हो. परन्तु पहलो रात्रि में मैं तुमसे अश्य मुलाकात करूंगी। थोड़े दिनो के बाद उस कन्या का विवाह हआ । विवाह के बाद कन्या ने अपने पति से, उस माली को मिलने जाने की आज्ञा माँगी। पी ने भी अपनी रस्त्री को उसके लिये हए वचन के पालन के लिये आज्ञा दे दी। स्त्री माली से मिलने को जा रही थी, कि रास्ते में उस करे चोर मिले। उन्होंने स्त्री को लूटना चाहा। यह देवकर वह स्त्री बोली . 'भाई, यदि तुम मुझे लूटना चाहो तो प्रसन्नता से लूटना, किन्तु पहले मुझे एक वचन पालन करने दो। विवाह को पहली रात में एक माली से मिलने का मैंने वायदा किया है. अतः पहले मुझे उससे मिल आने दो।" चोरों ने आपस में कहा-.. "ऐसी कड़ो प्रतिज्ञा का पालन करने वाली कभी झूठ नहीं बोल सकती। अच्छा इसे अभी तो जाने दो, लोटती बार लुटेगे।"
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