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वीर धन्ना ]
पिता ने कहा - "बच्चो, तुम किस वस्तु में अपना भाग चाहते हो ? यह सब सम्पत्ति तो धन्ना की है । तुम्हारे शरीर पर तो कपड़ा भी न था, फिर भाग कैसा चाहते हो? धन्ना की सम्पत्ति, तुम लोगों में नहीं बँट सकती।" धन्ना के तीनों भाई कहने लगे, कि"हम सब कुछ जानते हैं। धन्ना घर से रत्न चुराकर यहाँ भाग आया है । हमें हिस्सा दीजिए, नहीं तो फजीहत होगी।
___ भाइयों की बातों को सुनकर धन्ना विचारने लगा, यह तो फिर से कलह प्रारंभ हुआ। मेरे को कलह अच्छा नहीं लगता, इसलिए परदेश जाऊँगा और वहां कमाऊँगा तथा आनन्द करूंगा।
इस प्रकार विचार करके धन्ना प्रातःकाल जल्दी उठकर चल दिया । धन्ना, कौशाम्बी नगर में आया। कौशाम्बी के राजा के दरबार में मणि की परीक्षा हो रही थी। उस मणि की परीक्षा कोई न कर सका। धन्ना द्वारा उस मणि की परीक्षा कर लेने के कारण राजा ने अपनी लड़की धन्ना के साथ विवाह दी।
__ यहां धन्ना ने धनपुर नाम का ग्राम बसाया। धनपुर ग्राम में और सब बातों का सुख था, लेकिन पानी का बड़ा दुख था। इस दुख को मिटाने के लिए धन्ना ने तालाब खुदवाना शुरू किया। ... धन्ना हमेशा उस तालाब पर यह देखा करता, कि कितना काम हुआ है । तालाब पर एक दिन धन्ना ने अपने परिवार को देखा । परिवार के लोग तालाब पर मजदूरी करके अपनी गुजर चलाते थे। धन्ना ने पहले तो परिवार के लोगों से अपनी जान पहिचान नहीं की, लेकिन फिर जान पहिचान करके उनसे सब बात पूछी । पिता ने उत्तर दिया, कि बेटा, तेरे जाने की खबर राजा को हुई, इसलिए राजा ने हमारा तिरस्कार किया। इसी
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