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[ जैन कथा संग्रह
कारण हमारी यह दशा हुई है । पिता का उत्तर सुनकर, धन्ना को बहुत दुःख हुआ। उसने परिवार को अपने साथ रखकर फिर सुखी किया।
धन्ना ने धनवान कुटुम्बों की और भी चार कन्याओं के साथ विवाह किया। उसके सब मिल कर ८ स्त्रियां हो गई। अब वह राजगृह नगर में रहने लगा। उसके माता पिता अनशन करके मृत्यु को प्राप्त हुये।
- एकबार धन्ना स्नान करने के लिए बैठा था, 'सुभद्रा' स्नान करा रही थीं। सुभद्रा की आँखों में से टपटप आंसू गिरते थे ।
___ धन्ना ने पीछे की ओर देखा, तो सुभद्रा रोती हुई दिखाई दी। धन्ना ने सुभद्रा से रोने का कारण पूछा । उत्तर में सुभद्रा कहने लगी, कि-'मेरे भाई शालिभद्र को वैराग्य हुआ है, वह नित्य एक स्त्री को त्यागता है और इस प्रकार ३२ स्त्रियां छोड़नी हैं।" धन्ना बोला, कि-"तुम्हारा भाई बहुत कायर है, ऐसा करना कहीं वैराग्य कहलाता है ? वह सब स्त्रियों को एक साथ ही क्यों नहीं छोड़ देता।
सुभद्रा बोली- "स्वामीनाथ ! बोलना तो सहज है, लेकिन करना बहुत कठिन है।" धन्ना ने कहा --- ऐसा है ?" सुभद्रा ने उत्तर दिया- हां ! धन्ना ने कहा कि, "मैं इसी समय सभी स्त्रियों को छोड़ देता हूँ।" ।
सुभद्रा समझ गई, कि यह हँसी करते खाँसी हुई। सुभद्रा और धन्ना की अन्य स्त्रियों ने बहुत समझाया, लेकिन धन्ना अपने निश्चय पर से न टला । तब धन्ना की स्त्रियों ने कहा, "यदि आप नहीं मानते हैं तो हम भी आपके साथ ही दीक्षा लेंगी।" धन्ना ने उत्तर दिया,
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